durga saptashati path vidhi in navratri: चैत्र नवरात्रि, हिंदू धर्म में सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। यह नौ दिनों तक चलने वाला पर्व है, जो माँ दुर्गा के नौ रूपों को समर्पित है। 2025 में, चैत्र नवरात्रि 30 मार्च से शुरू हो रही है। यह त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत और नई शुरुआत का प्रतीक है। मान्यता है कि नवरात्रि के दौरान माँ दुर्गा पृथ्वी पर आती हैं और अपने भक्तों को आशीर्वाद देती हैं।
नवरात्रि में नौ दिनों तक माँ दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है, जो शक्ति, ज्ञान और समृद्धि का प्रतीक हैं। नवरात्रि के दिनों में सुरगा सप्तशति का पाठ करने का बहुत महत्व माना जाता है। दुर्गासप्तशती में अनेक मंत्र हैं। ये मंत्र बहुत शक्तिशाली हैं और इनके विधिवत जाप करने से मनुष्य तमाम प्रकार की परेशानियों से मुक्त हो सकता है। दुर्गा सप्तशती के मंत्रों का जाप करते समय आपकी कामना पवित्र होनी चाहिए। यहां हम कुछ सम्पुट मंत्र दे रहे हैं।
1. जीवन में कल्याण के लिए करें इस मन्त्र का जाप:
देव्या यया ततमिंद जगदात्मशक्त्या
निश्शेषदेवगणशक्तिसमूहमूर्त्या।
तामम्बिकामखिलदेवमहर्षिपूज्यां
भक्त्या नता: स्म विदधातु शुभानि सा न:॥
2. मन से भय का विनाश करने के लिए करें इस मंत्र का जाप:
यस्याः प्रभावमतुलं भगवानन्तो
ब्रह्मा हरश्च न हि वक्तुमलं बलं च
स चण्डिकाखिलजगत्परिपालनाय
नाशाय चाशुभभयस्य मतिं करोतु॥
3. संकटों से रक्षा के लिए करें इस मन्त्र का जाप:
या श्रीः स्वयं सुकृतिनां भवनेष्वलक्ष्मीः
पापात्मनां कृतधियां हृदयेषु बुद्धिः।
श्रद्धा सतां कुलजनप्रभवस्य लज्जा
ता त्वां नताः स्म परिपालय देवि विश्वम्॥
4. विश्व के अभ्युदय के लिए मंत्र इस तरह है:
विश्वेश्वरि त्वं परिपासि विश्वं
विश्वात्मिका धारयसीति विश्वम्।
विश्वेशवन्द्या भवती भवन्ति
विश्वाश्रया ये त्वयि भक्तिनम्राः॥
5. विपत्तियों के नाश के लिए करें इस मंत्र का जाप:
देवि प्रपन्नार्तिहरे प्रसीद
प्रसीद मातर्जगतोऽखिलस्य।
प्रसीद विश्वेश्वरि पाहि विश्वं
त्वमीश्वरी देवि चराचरस्य॥
6 पाप निवारण के लिए करें इस मंत्र का जाप:
देवि प्रसीद परिपालय नोऽरिभीते-
र्नित्यं यथासुरवधादधुनैव सद्यः।
पापानि सर्वजगतां प्रशमं नयाशु
उत्पातपाकजनितांश्च महोपसर्गान्।।
8. विपत्ति नाश और शुभ की प्राप्ति के लिए करें इस मन्त्र का जाप:
करोतु सा नः शुभेहेतुरीश्वरी
शुभानि भद्राण्यभिहन्तु चापदः।।
9. भय नाश के लिए मंत्र इस प्रकार है:
1) सर्वस्वरूपे सर्वेशे सर्वशक्तिसमन्विते
भयेभ्यस्त्राहि नो देवि दुर्गे देवि नमोऽस्तु ते।।
2) एतत्ते वदनं सौम्यं लोचनत्रयभूषितम्
पातु नः सर्वभीतिभ्यः कात्यायनि नमोऽस्तु ते।।
3) ज्वालाकरालमत्युग्रमशेषासूरसूदनम्।
त्रिशूलं पातु नो भीतेर्भद्रकालि नमोऽस्तु ते।।
10. पाप नाश के लिए करें इस मन्त्र का जाप:
हिनस्ति दैत्यतेजांसि स्वनेनापूर्ण्या या जगत्।
सा घण्टा पातु नो देवि पापेभ्योऽनः सुतानिव।।
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