गुप्त नवरात्रि में देवी बगलामुखी का कैसे करें पूजन, जानें मां का स्वरूप, महत्व, कथा और विधि

WD Feature Desk
बुधवार, 5 फ़रवरी 2025 (10:03 IST)
Shri Baglamukhi Mata: मां बगलामुखी, दस महाविद्याओं में से आठवीं महाविद्या हैं। इन्हें पीतांबरा भी कहा जाता है क्योंकि पीला रंग इन्हें अत्यंत प्रिय है। गुप्त नवरात्रि में मां बगलामुखी का पूजन विशेष रूप से शत्रुओं पर विजय, वाद-विवाद में सफलता और मुकदमे में जीत के लिए किया जाता है।ALSO READ: माघ मास की गुप्त नवरात्रि की कथा
 
मां बगलामुखी का स्वरूप: बगलामुखी माता का स्वरूप अत्यंत प्रभावशाली है। वे पीले वस्त्र धारण करती हैं, पीले आभूषणों से सजी होती हैं, और पीले कमल पर विराजमान होती हैं। उनके चार भुजाएं हैं, जिनमें से एक हाथ में वे गदा धारण करती हैं, दूसरे हाथ में शत्रु की जीभ पकड़ती हैं, और अन्य दो हाथों से वे अपने भक्तों को आशीर्वाद देती हैं।
 
मां बगलामुखी की पूजा का महत्व और मान्यताएं: धार्मिक शास्त्रों के अनुसार वैदिक काल में सप्तऋषियों ने भी समय-समय पर मां बगलामुखी की साधना की है। मां बगलामुखी की पूजा करने से व्यक्ति को शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है। उनकी कृपा से वाद-विवाद में सफलता मिलती है और मुकदमे में जीत होती है। यह पूजा व्यक्ति के अंदर आत्मविश्वास और साहस को बढ़ाती है।

मां बगलामुखी की पूजा करने से व्यक्ति व्यक्ति के सभी प्रकार के भय दूर होते हैं तथा वाणी सिद्धि प्राप्त होती है। साथ ही इस नवरात्रि में गुप्त रूप से साधना करने से मां बगलामुखी की पूजा करने से व्यक्ति को धन, समृद्धि और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। गुप्त नवरात्रि में मां बगलामुखी की पूजा का विशेष महत्व होने के कारण व्यक्ति को शक्ति, तेजस्विता और विजय की प्राप्ति होती है।ALSO READ: माघ गुप्त नवरात्रि पर जानें महत्व, विधि और 10 खास बातें
 
मां बगलामुखी की पौराणिक कथा: एक समय की बात है, एक राक्षस ने देवताओं को पराजित करके स्वर्ग पर अधिकार कर लिया था। देवतागण भयभीत होकर मां दुर्गा की शरण में गए। मां दुर्गा ने बगलामुखी का रूप धारण करके राक्षस का वध किया और देवताओं को उनका राज्य वापस दिलाया। धार्मिक मान्यतानुसार श्री कृष्ण और अर्जुन ने भी महाभारत युद्ध के पूर्व माता बगलामुखी की पूजा-अर्चना और साधना की थी।
 
पूजा विधि:
1. गुप्त नवरात्रि में मां बगलामुखी के पूजन हेतु सुबह उठकर स्नान करें और स्वच्छ पीले वस्त्र धारण करें।
 
2. एक पीले वस्त्र पर मां बगलामुखी की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
 
3. उन्हें पीले फूल, पीले अक्षत, पीली हल्दी, पीले वस्त्र, और पीले रंग की मिठाई अर्पित करें।
 
4. 'ॐ ह्मीं बगलामुखी देव्यै सर्व दुष्टानाम वाचं मुखं पदम् स्तम्भय जिह्वाम कीलय-कीलय बुद्धिम विनाशाय ह्लीं ॐ नम:' या 'ॐ  ह्नीं बगुलामुखी देव्यै ह्नीं ओम नम:' मंत्र का जाप करें।
 
5. मां बगलामुखी की कथा पढ़ें या सुनें।
 
6. अंत में आरती करें और मां से खुशहाल जीवन की प्रार्थना करें। 

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