भवानी आराधना से मिले वॉक शक्ति

पं. अशोक पँवार 'मयंक'
ND
अ‍ाश्‍विन शुक्ल पक्ष प्रतिपदा से शारदीय नवरात्रारंभ होता है। इसमें लोग व्रतानुष्‍ठानादि से माँ दुर्गा भवानी को प्रसन्न कर‍ते हैं। इसकी पूजन ‍प्रक्रिया में माँ का सुंदर फोटो या पार्थिव मूर्ति स्थापित की जाती है एवं विधिवत पूजन कर निराहार या एक वक्त का भोजन व्रत रखा जाता है। नवरात्रों में प्रतिदिन एक कन्या की पूजा करें एवं उसे भोजनादि सहित दक्षिणा दें। यदि प्रतिदिन कन्या पूजन, भोजन संभव न हो तो नवमी के दिन नौ कन्याओं की पूजा कर भोजनादि से संतुष्‍ट कराकर दक्षिणादि देकर पैर छूकर बिदा करें।

इन दिनों दुर्गा सप्तशती, अपराजिता, भवानी आदि का पाठ-पूजन, मंत्र जाप किया जाता है। इस नवरा‍त्रि में दैविक साधना ही सिद्ध होती है। साधक को चाहिए कि वह पूर्ण ब्रह्म चरित्र का पालन करें। संकल्पानुसार मंत्र को जपना चाहिए एवं विधिपूर्वक हवन कर कन्याभोज कराएँ।

प्रथम दिन से शुभ मुहूर्त में अपनी सामर्थ्यानुसार इनमें से कोई एक मंत्र का जाप करें। कम से कम नौ दिनों में 51 हजार जाप करने पर परमसिद्धि प्राप्त होती है। साधन को नि:संकोच भाव रखकर बगैर फल की आशा रखते हुए देवी आराधना करें। तभी जाकर देवी प्रसन्न होती हैं व अपने भक्तों का निश्चित ही कल्याण करती हैं।
  अ‍ाश्‍विन शुक्ल पक्ष प्रतिपदा से शारदीय नवरात्रारंभ होता है। इसमें लोग व्रतानुष्‍ठानादि से माँ दुर्गा भवानी को प्रसन्न कर‍ते हैं। इसकी पूजन ‍प्रक्रिया में माँ का सुंदर फोटो या पार्थिव मूर्ति स्थापित की जाती है।      


दुर्गाजी का मंत्र इस प्रकार है- ऊँ ह्रीं दुं दुर्गाय नम:' इस मंत्र का जाप करने वाला वॉक शक्ति या वाणी सिद्ध पाता है, जिससे उसका कहा स‍ही होता है।

एक और नवार्ण मंत्रों में से महामंत्र है। इसके जपने से शत्रु नष्‍ट होते हैं व वशीकरण, वाणी सिद्धि, धन-धान्य, सुख की प्राप्ति होती है। मंत्र इस प्रकार है- ' ऊँ सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके, शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणी नमोस्तुते।।'

जिन्हें अपने शत्रुओं से भय हो या कोई अधिक परेशान करता हो वह माँ बगुलामुखी मंत्र का जाप कर सकता है। इसमें ध्यान रखने वाली बात यह है कि पीले वस्त्र पहनें, पीले पुष्प, पीला आसन, हल्दी की माला व सोने के लिए पीले बिस्तर व खाने में भी पीला होना चाहिए। हवन के लिए नीम की लकड़ी, पीली सरसों व सरसों का तेल ही लें। कम से कम नित्य 108 बार आहुति दें।

' ऊँ ह्रीं बगलामुखी (नाम--------) जिसका भी बोलना हो दुष्टानाम वाचं मुखम् पद्मस्तभम जिव्हाय किलय किलय ह्रीं ॐ फट्‍।'

इस प्रकार मंत्रोच्चार द्वारा हवन करने से शत्रु नाश होता है। शत्रु सद्‍व्यवहार करने लगा है।

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

देवशयनी एकादशी 2025 में कब आएगी, सुख समृद्धि के लिए कौन से 5 उपाय करें?

जून 2025 में वाहन खरीदी, संपत्ति क्रय और गृह प्रवेश के शुभ मुहूर्त

बाबा वेंगा की भविष्यवाणी ने बढ़ाई दुनिया की धड़कनें, क्यों जुलाई में हो रहे हैं ट्रेवल प्लान कैंसल

क्या जून में भारत पर हमला करेगा पाकिस्तान, क्या कहते हैं ग्रह नक्षत्र

शनिदेव 138 दिनों तक मीन में चलेंगे वक्री चाल, 4 राशियों को होगा बड़ा लाभ

सभी देखें

धर्म संसार

Aaj Ka Rashifal: जानें राशिनुसार आपके लिए विशेष भविष्य फल, पढ़ें कैसा रहेगा 29 मई का दिन

महाराणा प्रताप की सेना के 5 बड़े योद्धा, जिन्होंने मुगलों को चटाई थी धूल

29 मई 2025 : आपका जन्मदिन

औरंगजेब को धूल चटाने वाले महाराजा छत्रसाल, छत्ता तेरे राज में, धक-धक धरती होय

29 मई 2025, गुरुवार के शुभ मुहूर्त