शक्ति साधना का पर्व है नवरात्रि

भक्ति से प्रसन्न करें देवी-देवताओं को

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शक्ति पूजा का नौ दिवसीय पर्व 8 अक्टूबर से शुरू होगा। इस दिन शक्तिपीठों और मंदिरों में सुबह 11.30 से दोपहर 12.30 बजे के बीच घटस्थापना की जाएगी। नवरात्रि का पर्व 8 अक्टूबर प्रतिपदा से प्रारंभ होकर 16 अक्टूबर नवमी तक चलेगा। अश्विन मास में नवरात्रि का आना इसकी महत्ता को कई गुना बढ़ा देता है।

नवरात्रि शक्ति साधना का पर्व है। 8 अक्टूबर अश्विनी शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा में ज्योति कलश की स्थापना सुबह 11.30 बजे से लेकर दोपहर 12.30 बजे के बीच शुभ मानी जाएगी। नवरात्रि में कुँवारी कन्या का पूजन करने और भोजन कराने का बड़ा महत्व है।

विधि-विधान से कन्या पूजन करने और भोजन कराने वालों को अत्यंत पुण्य मिलता है।

सरकार ने धार्मिक स्थलों पर पशुओं के बलि प्रथा को समाप्त करने के निर्देश जारी किए हैं। कोई भी देवी-देवता खून के प्यासे नहीं होते और नहीं ही वे पशुओं की बलि देने से प्रसन्न होते हैं। बलि देने से भक्तों की मनोकामना भी पूरी नहीं होती। यह आज के समय में केवल अंधविश्वास बनकर रह गया है।

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यह विडंबना है कि आजकल शिक्षित लोग भी बलि देने में आगे हैं। कुछ लोग ऐसे हैं जिन्हें ऐसे अवसरों की तलाश रहती है। प्रदेश सरकार ने सभी जिले के कलेक्टरों को देवी मंदिरों में बलि नहीं देने का आदेश दिया है। पिछले 10 वर्षों से हो रही पशु बलि का गायत्री परिवार के सदस्य शुरू से विरोध करते आ रहे हैं।

पिछले दिनों गायत्री परिवार के एक प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह से मिलकर बलि प्रथा को समाप्त करने की माँग की थी। जानकारों के अनुसार बलि देकर देवी-देवताओं की आराधना करना गलत है।

अगर सच्ची श्रद्धा से प्रार्थना की जाए, तो देवी-देवता प्रसन्न होते हैं। देवी-देतवाओं की पूजा के लिए नारियल, अगरबत्ती फूल और श्रद्घा ही पर्याप्त है। बलि प्रथा को समाप्त करने प्रदेश सरकार ने आदेश तो जारी कर दिया है, लेकिन इसके लिए सभी लोगों को जागरूक रहना होगा।

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