चैत्र नवरात्रि व्रत के पारण का समय और व्रत खोलने का तरीका

WD Feature Desk
शनिवार, 5 अप्रैल 2025 (13:46 IST)
Navratri Paran Kab Hai 2025: नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है तथा व्रत रखना बहुत ही शुभ माना जाता है। बता दें कि इस बार चैत्र नवरात्रि का आरंभ 30 मार्च 2025 से हुआ है, जिसका समापन 6 अप्रैल 2025, रविवार को राम नवमी के दिन होगा। नवरात्रि का पारण अष्टमी यानी व्रत के आठवें दिन और नवमी यानी व्रत के नौवें दिन कन्या पूजन के साथ होता है।ALSO READ: नवरात्रि में कन्या पूजन पर कंजक को गलती से भी न दें ये 6 गिफ्ट, नहीं तो मिल सकता है अशुभ फल
 
इसीलिए चैत्र नवरात्रि में व्रत का पारण अष्टमी, नवमी या दशमी तिथि को किया जा सकता है। जो लोग अष्टमी के दिन व्रत रखते हैं वे नवमी के दिन पारण करते हैं। नवमी के दिन व्रत रखने वाले दशमी के दिन पारण करते हैं। कुछ लोग दशमी तिथि में भी पारण करते हैं। निर्णय सिन्धु के अनुसार नवरात्रि पारण यानी व्रत तोड़ने के लिए नवमी की समाप्ति के बाद का दिन अर्थात् दशमी तिथि को उत्तम बताया गया है। अत: हिन्दू कैलेंडर पंचांग के मुताबिक, वर्ष 2025 में चैत्र नवरात्रि व्रत का पारण 7 अप्रैल, सोमवार को दशमी के दिन किया जाएगा। 
 
बता दें कि इस बार 6 अप्रैल, रविवार को रामनवमी मनाई गई। अत: पंचाग के हिसाब से चैत्र नवरात्रि पारण सोमवार, 7 अप्रैल 2025 को होगा। 
चैत्र नवरात्रि पारण का समय- प्रातः 06 बजकर 04 मिनट के बाद किया जाएगा।
 
पारण का समय:
- नवमी तिथि प्रारम्भ- अप्रैल 05, 2025 को शाम 07 बजकर 26 मिनट से,
- नवमी तिथि समाप्त- अप्रैल 06, 2025 को सायं 07 बजकर 22 मिनट पर। 
- चैत्र नवरात्रि पारण सोमवार, अप्रैल 7, 2025 को
- चैत्र नवरात्रि पारण समय- सुबह 06 बजकर 04 मिनट के पश्चात। 
- पारण तिथि के अनुसार होता है। 
- पारण सूर्योदय के बाद और दशमी तिथि के समाप्त होने से पहले किया जाना चाहिए।
- पारण करते समय, शांत और एकाग्र रहें।
- पारण के बाद, भगवान का आशीर्वाद लें और उनके प्रति आभार व्यक्त करें।
व्रत पारण का समय और विधि आपके स्थानीय रीति-रिवाजों के अनुसार भिन्न हो सकती है।ALSO READ: चैत्र नवरात्रि की महाष्टमी पर पूजा का शुभ मुहूर्त और पूजन विधि के साथ जानें महत्व
 
पारण की विधि:
व्रत के दिन सुबह जल्दी जागकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहन लें।
पारण से पहले, शुभ मुहूर्त में माता दुर्गा की पूजा करें और उन्हें भोग लगाएं।
पूजा के बाद हवन करें।
कन्या पूजन करें और घर पर नौ कन्याओं को बुलाकर भोजन कराएं।
इसके बाद ही अपना व्रत खोलें तथा व्रत तोड़ने के लिए सात्विक भोजन करें।
पारण में फलों का रस, साबूदाना, आलू, कद्दू, सिंघाड़ा और शकरकंद जैसे खाद्य पदार्थों का सेवन किया जा सकता है।
तला हुआ और मसालेदार भोजन खाने से बचें।
भोजन से पहले, गरीबों और जरूरतमंदों को दान करें।
 
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