Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia

आज के शुभ मुहूर्त

(हनुमान जयंती)
  • तिथि- चैत्र शुक्ल पूर्णिमा
  • शुभ समय-10:46 से 1:55, 3:30 5:05 तक
  • व्रत/मुहूर्त-हनुमान जयंती, व्रत पूर्णिमा
  • राहुकाल- दोप. 3:00 से 4:30 बजे तक
webdunia
Advertiesment

Gupta Navaratri katha: आपने कहीं नहीं पढ़ी होगी गुप्त नवरात्रि की यह पौराणिक कथा

हमें फॉलो करें Gupt Navaratri Story
30 जून से आषाढ़ महीने की गुप्त नवरात्रि (Gupta Navaratri katha) आरंभ हो गई है। गुप्त नवरात्रि से जुड़ी पौराणिक कथा को किसी भी समय पढ़ा जा सकता है। गुप्त नवरात्रि से जुड़ी प्रामाणिक एवं प्राचीन कथा यह है-
 
इस कथा के अनुसार एक समय ऋषि श्रृंगी भक्तजनों को दर्शन दे रहे थे। अचानक भीड़ से एक स्त्री निकलकर आई और करबद्ध होकर ऋषि श्रृंगी से बोली कि मेरे पति दुर्व्यसनों से सदा घिरे रहते हैं जिस कारण मैं कोई पूजा-पाठ नहीं कर पाती। धर्म और भक्ति से जुड़े पवित्र कार्यों का संपादन भी नहीं कर पाती। यहां तक कि ऋषियों को उनके हिस्से का अन्न भी समर्पित नहीं कर पाती।
 
मेरा पति मांसाहारी हैं, जुआरी है, लेकिन मैं मां दुर्गा की सेवा करना चाहती हूं, उनकी भक्ति-साधना से अपने और परिवार के जीवन को सफल बनाना चाहती हूं। ऋषि श्रृंगी महिला के भक्तिभाव से बहुत प्रभावित हुए। ऋषि ने उस स्त्री को आदरपूर्वक उपाय बताते हुए कहा कि वासंतिक और शारदीय नवरात्रों से तो आम जनमानस परिचित है, लेकिन इसके अतिरिक्त 2 नवरात्रि और भी होते हैं जिन्हें 'गुप्त नवरात्रि' कहा जाता है।
 
उन्होंने कहा कि प्रकट नवरात्रों में 9 देवियों की उपासना होती है और गुप्त नवरात्रों में 10 महाविद्याओं की साधना की जाती है। इन नवरात्रों की प्रमुख देवी स्वरूप का नाम सर्वैश्वर्यकारिणी देवी है। यदि इन गुप्त नवरात्रि में कोई भी भक्त माता दुर्गा की पूजा-साधना करता है, तो मां उसके जीवन को सफल कर देती हैं।
 
ऋषि श्रृंगी ने आगे कहा कि लोभी, कामी, व्यसनी, मांसाहारी अथवा पूजा-पाठ न कर सकने वाला भी यदि गुप्त नवरात्रों में माता की पूजा करता है, तो उसे जीवन में कुछ और करने की आवश्यकता ही नहीं रहती। उस स्त्री ने ऋषि श्रृंगी के वचनों पर पूर्ण श्रद्धा करते हुए गुप्त नवरात्रि की पूजा की। मां उस पर प्रसन्न हुईं और उस स्त्री के जीवन में परिवर्तन आने लगा। उसके घर में सुख-शांति आ गई। पति, जो गलत रास्ते पर था, सही मार्ग पर आ गया। गुप्त नवरात्रि की माता की आराधना करने से उनका जीवन पुन: खिल उठा।
 
ज्ञात हो कि यह नवरात्रि तांत्रिक क्रियाओं, शक्ति साधना और महाकाल आदि से जुड़े लोगों के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है। गुप्त नवरात्रि के दौरान मां काली, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, माता छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवी, मां धूमावती, माता बगलामुखी, मातंगी और कमला देवी की पूजा की जाती है। और इन दिनों में यह कथा पढ़ने का विशेष महत्व माना गया है। 

webdunia
 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

गुप्त नवरात्रि : दस महाविद्या के नाम और मंत्र