Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
  • तिथि- कार्तिक शुक्ल सप्तमी
  • शुभ समय- 7:30 से 10:45, 12:20 से 2:00 तक
  • व्रत/मुहूर्त-छठ पारणा, सहस्रार्जुन जयंती
  • राहुकाल-प्रात: 10:30 से 12:00 बजे तक
webdunia
Advertiesment

katyayani maa : मां कात्यायनी इस प्रसाद से होंगी खुश, देंगी सुंदरता और आकर्षण का वरदान

हमें फॉलो करें katyayani maa : मां कात्यायनी इस प्रसाद से होंगी खुश, देंगी सुंदरता और आकर्षण का वरदान
मां दुर्गा की छठी विभूति हैं मां कात्यायनी। शास्त्रों के अनुसार कात्यायन ऋषि के तप से प्रसन्न होकर मां आदि शाक्ति ऋषि कात्यायन की पुत्री के रूप में अवतरित हुईं। ऋषि कात्यायन की पुत्री होने के कारण माता कात्यायनी कहलाती हैं। 
 
शास्त्रों के मुताबिक जो भक्त दुर्गा मां की छठी विभूति कात्यायनी की आराधना करते हैं मां की कृपा उन पर सदैव बनी रहती है। कात्यायनी माता का व्रत और उनकी पूजा करने से कुंवारी कन्याओं के विवाह में आने वाली बाधा दूर होती है। 
 
मां कात्यायनी ने देवताओं की प्रार्थना सुनकर महिषासुर से युद्ध किया।
 
महिषासुर से युद्ध करते हुए मां जब थक गई तब उन्होंने शहद युक्त पान खाया। शहद युक्त पान खाने से मां कात्यायनी की थकान दूर हो गई और महिषासुर का वध कर दिया। कात्यायनी की साधना एवं भक्ति करने वालों को मां की प्रसन्नता के लिए शहद युक्त पान अर्पित करना चाहिए। या फिर शहद का अलग से भोग भी लगा सकते हैं। 
 
मां कात्यायनी की साधना का समय गोधूली काल है। इस समय में धूप, दीप, गुग्गुल से मां की पूजा करने से सभी प्रकार की बाधाएं दूर होती हैं। जो भक्त माता को 5 तरह की मिठाईयों का भोग लगाकर कुंवारी कन्याओं में प्रसाद बांटते हैं माता उनकी आय में आने वाली बाधा को दूर करती हैं और व्यक्ति अपनी मेहनत और योग्यता के अनुसार धन अर्जित करने में सफल होता है। 
 
मां शक्ति के नवदुर्गा स्वरूपों में मां कात्यायनी देवी को छठा रूप माना गया है। मां कात्यायनी देवी के आशीर्वाद से विवाह के योग बनते हैं साथ ही वैवाहिक जीवन में भी खुशियां प्राप्त होती हैं। 

ALSO READ: विजयादशमी पर माता कात्यायनी ने क्यों किया था महिषासुर का वध?


Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

विजयादशमी पर माता कात्यायनी ने क्यों किया था महिषासुर का वध?