Shardiya navratri 2024 date: शारदीय नवरात्रि घटस्थापना मुहूर्त, विधि और मंत्र

WD Feature Desk
गुरुवार, 3 अक्टूबर 2024 (07:14 IST)
Shardiya navratri ghatasthapana muhurat 2024: प्रतिवर्ष अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से शारदीय नवरात्रि के व्रत प्रारंभ होते हैं। इस बार शारदीय नवरात्रि का पर्व 3 अक्टूबर से 12 अक्टूबर तक रहेगा। दुर्गा अष्टमी 11 अक्टूबर की रहेगी। आओ जानते हैं दुर्गा प्रतिमा स्थापना और घट स्थापना का शुभ मुहूर्त।
 
प्रतिपदा तिथि प्रारम्भ- 03 अक्टूबर 2024 को मध्यरात्रि 12:18 बजे से।
प्रतिपदा तिथि समाप्त- 04 अक्टूबर 2024 को मध्यरात्रि 02:58 बजे तक।
 
प्रतिमा और घटस्थापना का शुभ मुहूर्त- प्रात: 06:30 से 07:31 के बीच।
मूर्ति और घटस्थापना का अभिजीत मुहूर्त- दोपहर 11:46 से 12:33 के बीच।
 
शरदीय नवरात्र‍ि घटस्थापना का शुभ मुहूर्त 2024:-
घटस्थापना मुहूर्त- प्रात: 06:15 से 07:22 के बीच।
घटस्थापना अभिजीत मुहूर्त- दोपहर 11:46 से 12:33 के बीच।
शुभ चौघड़िया: प्रात: 06:15 से 07:44 के बीच।
लाभ चौघड़िया: दोपहर 12:10 से 01:38 के बीच।
अमृत चौघड़िया: दोपहर 01:38 से 03:07 के बीच।
 
3 अक्टूबर 2024 के शुभ मुहूर्त:-
ब्रह्म मुहूर्त: प्रात: 04:53 से शाम 05:41 तक।
प्रातः सन्ध्या: प्रात: 05:17 से प्रात: 06:30 तक।
अमृत काल: सुबह 08:45 से सुबह 10:33 तक।
अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 11:46 से 12:33 तक।
विजय मुहूर्त: अपरान्ह 02:26 से अपरान्ह 03:14 तक।
गोधूलि मुहूर्त: शाम 06:25 से शाम 06:49 तक।
सायाह्न सन्ध्या : शाम 06:25 से 07:37 तक।
 
शारदीय कलश एवं घट स्थापना का शुभ मंत्र:-

- ओम धान्यमसि धिनुहि देवान् प्राणाय त्यो दानाय त्वा व्यानाय त्वा। दीर्घामनु प्रसितिमायुषे धां देवो वः सविता हिरण्यपाणिः प्रति गृभ्णात्वच्छिद्रेण पाणिना चक्षुषे त्वा महीनां पयोऽसि।।
 
- ओम आ जिघ्र कलशं मह्या त्वा विशन्त्विन्दव:। पुनरूर्जा नि वर्तस्व सा नः सहस्रं धुक्ष्वोरुधारा पयस्वती पुनर्मा विशतादयिः।।
 
-ओम वरुणस्योत्तम्भनमसि वरुणस्य स्काभसर्जनी स्थो वरुणस्य ऋतसदन्यसि वरुणस्य ऋतसदनमसि वरुणस्य ऋतसदनमा सीद।। 
 
- ओम भूर्भुवः स्वः भो वरुण, इहागच्छ, इह तिष्ठ, स्थापयामि, पूजयामि, मम पूजां गृहाण।
 
- 'ओम अपां पतये वरुणाय नमः'
 
शारदीय नवरा‍त्रि पर घटस्थापना की विधि जानिए:
घट स्थापना कैसे की जाती है | Ghatasthapana kaise kare
 
- घट अर्थात मिट्टी का घड़ा। इसे नवरात्रि के प्रथम दिन शुभ मुहूर्त में ईशान कोण में स्थापित किया जाता है।
 
- घट में पहले थोड़ी सी मिट्टी डालें और फिर जौ डालें। फिर एक परत मिट्टी की बिछा दें। एक बार फिर जौ डालें। फिर से मिट्टी की परत बिछाएं। अब इस पर जल का छिड़काव करें। इस तरह उपर तक पात्र को मिट्टी से भर दें। अब इस पात्र को स्थापित करके पूजन करें।
 
- जहां घट स्थापित करना है वहां एक पाट रखें और उस पर साफ लाल कपड़ा बिछाकर फिर उस पर घट स्थापित करें। घट पर रोली या चंदन से स्वास्तिक बनाएं। घट के गले में मौली बांधे।
 
कलश स्थापना विधि | Kalash Sthapana Vidhi
 
- एक तांबे के कलश में जल भरें और उसके ऊपरी भाग पर नाड़ा बांधकर उसे उस मिट्टी के पात्र अर्थात घट के उपर रखें। अब कलश के ऊपर पत्ते रखें, पत्तों के बीच में नाड़ा बंधा हुआ नारियल लाल कपड़े में लपेटकर रखें।
 
- अब घट और कलश की पूजा करें। फल, मिठाई, प्रसाद आदि घट के आसपास रखें। इसके बाद गणेश वंदना करें और फिर देवी का आह्वान करें।
 
- अब देवी- देवताओं का आह्वान करते हुए प्रार्थना करें कि 'हे समस्त देवी-देवता, आप सभी 9 दिन के लिए कृपया कलश में विराजमान हों।'
 
- आह्वान करने के बाद ये मानते हुए कि सभी देवतागण कलश में विराजमान हैं, कलश की पूजा करें। कलश को टीका करें, अक्षत चढ़ाएं, फूलमाला अर्पित करें, इत्र अर्पित करें, नैवेद्य यानी फल-मिठाई आदि अर्पित करें।
 

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