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Navratri vrat paran : नवरात्रि पूजन में नवमी के दिन पारण कैसे करें

हमें फॉलो करें Navratri vrat paran : नवरात्रि पूजन में नवमी के दिन पारण कैसे करें
जिन लोगों के यहां पर अष्टमी का पूजन होता है वे अष्टमी को और जिन लोगों के यहां नवमी का पूजन होता है वे नवमी को व्रत का पारण करते हैं। पारण कब करें, पारण का समय क्या है और आओ जानते हैं कि कैसे करें पारण।
 
 
1. अष्टमी तिथि : यह तिथि अश्विन मास शुक्ल पक्ष अर्थात 12 अक्टूबर 2021 दिन मंगलवार को रात 09 बजकर 49 मिनट 38 सेकंड से प्रारंभ होकर 13 अक्टूबर 2021 दिन बुधवार को रात 08 बजकर 09 मिनट और 56 सेकंड पर समाप्त होगी। 
2. नवमी तिथि : यह तिथि का प्रारंभ 13 अक्टूबर 2021 दिन बुधवार को रात 08 बजकर 09 मिनट और 56 सेकंड से प्रारंभ होकर 14 अक्टूबर 2021 दिन बृहस्पतिवार को शाम 06 बजकर 54 मिनट और 40 सेकंड पर समाप्त होगी। अत: नवमी का पूजन 14 अक्टूबर 2021, दिन गुरुवार को किया जाएगा।
 
 
क्या होता है पारण : किसी भी उपवास के दूसरे दिन किया जाने वाला पहला भोजन पारण कहलाता है। 
 
पारण का समय : पारण दिन में सभी कार्यों के बाद मुहूर्त देखकर करना चाहिए। ऐसा मानते हैं कि सप्तमी का अष्टमी को, अष्टमी का नवमी को और नवमी का दशमी तिथि को किया जाता है। पारणा मुहूर्त को लेकर शास्त्रों में कुछ मतभेद हैं कि पारणा नवमी को होगा या दशमी को। मिमांसा के अनुसार पारणा दशमी को करना चाहिए, क्योंकि कई शास्त्रों में ऐसा कहा गया है कि नवमी को उपवास रखा जाता है।
 
 
पारण कब करें :
1. अगर आप महाष्टमी पर नवरात्रि व्रत पारण करना चाहते हैं तो सुबह प्रातः काल उठकर नित्य क्रियाओं से निवृत्त होकर तथा स्नान आदि करके मां महागौरी की विधि अनुसार पूजा करें तथा मां को उनका प्रिय भोग लगाएं। इसके बाद देवी दुर्गा की षोडषोपचार पूजा करें, कन्या भोज कराएं साथ में लंगुरिया (छोटा लड़का) भी होना चाहिए, इसके साथ ही हवन और विसर्जन की विधि संपन्न कराएं। इसके बाद पारण किया जाता है।
 
 
2. अगर आप महा नवमी तिथि पर नवरात्रि व्रत पारण कर रहें हैं तो इस दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा करें तथा उन्हें भोग लगाएं। इसके बाद देवी दुर्गा की षोडषोपचार पूजा करें, कन्या भोज कराएं साथ में लंगुरिया (छोटा लड़का) भी होना चाहिए, इसके साथ ही हवन और विसर्जन की विधि संपन्न कराएं। इसके बाद पारण किया जाता है।
परण कैसे करें :
1. पारण करने के लिए प्रात: काल उठकर स्नान आदि करके देवी का ध्यान किया जाता है। उपरोक्त कर्म के बाद पारण करने के लिए भोजन सात्विक होना चाहिए। 
 
2. अष्टमी में पारण के भोजन में प्याज, लहसुन, तेज मसाला, मांस, नारियल, तेल, लाल रंग का साग, पालक, मैथी ‍नहीं होना चाहिए। नवमी के पारण में प्याज, लहसुन, तेज मसाला, मांस, मिठाई, लौकी, केले और दूध नहीं होना चाहिए।
 
3. मान्यता है कि जो भोग आप माता और कन्याओं के लिए प्रस्तुत करते हैं उसी भोग से पारण करना शुभ माना जाता है। पारण करने के पूर्व आचमी करें और पत्ते पर तीन कोल रखकर ब्रह्मा, विष्णु और शिवजी को नम्कार करने के बाद ही पारण करें।
 
 
4. पारण के समय भरपेट भोजन नहीं करें। इसे पेट में दर्द हो सकता और बल्कि पाचन में भी परेशानी हो सकती है।
 
5. पहले पानी पिएं और फिर 30 मिनट बाद भोजन करें। पानी पीने से पेट में ठंडक पहुंचे, और बाद में होने वाली पाचन संबंधी समस्याओं से बचा जा सके।
 
6. आप चाहें तो नींबू पानी, लस्सी, नारियल पानी य फिर मौसंबी का जूस पीकर भी पारण कर सकते हो या फल खाकर भी पारण कर सकते हो।
 
 
7. आप पारण में अंकुरित आहार ले सकते हैं। आप अगर चाहें तो मिले जुले आटे की रोटी बना सकते हैं। सब्जियों में गिल्की, कद्दू, टमाटर, अरबी, भिंडी, दाल व दही जैसे पाचक व हल्की चीजें ले सकते हैं।

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