'गट्‍स' नहीं 'डबल गट्‍स' चाहिए मि. केजरीवाल

विशाल डाकोलिया
गुरुवार, 3 अप्रैल 2014 (20:03 IST)
FILE
अरविंद केजरीवाल जगह-जगह कहते फिरते हैं कि मुख्यमंत्री कि कुर्सी छोड़ने के लिए गट्स ( guts) चाहिए। कोई इन्हें समझाए कि मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठकर काम करने के लिए 'डबल गट्स' की जरूरत होती है। मानते हैं कि मुफ्त बिजली बांटने के लिए गट्स चाहिए पर कुछ मुफ्त बांटने के लिए जरूरी संसाधन जुटाना पड़ते हैं जिसके लिए 'डबल गट्स' चाहिए। कुछ गंवाने के लिए पहले कुछ कमाने के गट्स चाहिए।

केजरीवाल कितनी भी सहानुभूति बटोरने की कोशिश करें पर सच को झुठला नहीं सकते। सच तो यह है कि उन्हें कुर्सी इसलिए छोड़ना पड़ी क्योंकि बिना सोचे-समझे बिजली की सब्सिडी का जो तुगलकी फरमान उन्होंने आनन-फानन में दे दिया था उस पर अगले दिन से ही अमल करना मुश्किल हो गया था। सारे गट्स जवाब दे गए जब सारी बिजली वितरण कंपनियों ने हाथ खड़े कर दिए। अगले ही दिन से दिल्ली में अंधेरे का खतरा मंडराने लगा। इस अंधेरे की कालिख मुंह पर पुतवाने का गट्स भाई साहब में नहीं था इसलिए खुद को शहीद बताने का खूबसूरत नाटक रचा और तथाकथित 'गट्स' का हवाला देकर 'सत्ता के जहर' से खुद को मुक्त कर लिया।

गट्स तो तब होते जब बिजली वितरण कंपनियों से बैठकर बात की जाती, उनकी परेशानियां समझकर उनका तर्क सम्मत हल निकाला जाता और फिर दिल्ली की जनता को सही और सटीक बिजली दर निर्धारण की पॉलिसी दी जाती। पर इसके लिए डबल गट्स चाहिए।

हम यह नहीं कहते कि केजरीवाल में गट्स नहीं है, हर रेडियो चैनल पर स्वयं उन्हीं की मधुर आवाज में उनकी गट्स गाथा का उल्लेख चल रहा है तो कोई हमारे जैसा कैसे विरोध कर सकता है। फिर उनके गट्स के क्या कहने? सच ही तो है, अन्ना की पीठ पर चढ़कर उन्हीं के सिद्धांतों की बलि चढ़ाने के लिए गट्स चाहिए। जिस जनता से चंदा लिया, वोट लिया उसे 49 दिनों में अंगूठा दिखाने के लिए गट्स चाहिए। जिस कांग्रेस को गालियां दीं, उसी की गोद में बैठकर सत्ता का झूला झूलने के लिए गट्‍स चाहिए। विधानसभा संभाली नहीं गई पर लोकसभा में पहुंचने के लिए गट्स चाहिए। भारत की राजनीति में आमूलचूल परिवर्तन का मौका मिट्टी में मिलाने के लिए गट्स चाहिए।

लेकिन, फिर भी बात तो बनने वाली नहीं है क्योंकि इस देश के सपनों को साकार करने के लिए, इस कृषि प्रधान वित्त व्यवस्था को पुन: उन्नति के पथ लाने के लिए, देश की युवा ऊर्जा को देश की सकल उत्पादकता में बदलने के लिए, हमारे प्राकृतिक संसाधनों के समझदारी पूर्ण उपयोग के लिए, घाटे, कर्ज़, ब्याज के बोझ तले दबे नागरिकों के बीच स्वदेशी, सुराज और स्वावलंबन का अलख जगाने के लिए और शासन के अधिकारियों के विवेक का समुचित, सटीक दोहन करने के लिए 'डबल गट्स' चाहिए। जब 'डबल गट्स' हों तो चले आना श्रीमान केजरीवाल क्योंकि फिर से धोखा खाने का गट्स अब भारत की जनता के पास नहीं बचा है।

Show comments

जरूर पढ़ें

निमिषा प्रिया कौन हैं, यमन में क्यों मिली है फांसी की सजा, बचाने के लिए भारत सरकार क्या कर रही है प्रयास

चंद्रबाबू नायडू सबसे अमीर सीएम, ममता बनर्जी के पास सिर्फ 15 लाख की संपत्ति

Manipur CM बीरेन सिंह बोले- I am sorry, मणिपुर हिंसा पर किससे मांगी माफी

H-1B वीजा पर Elon Musk के रुख में बदलाव, भारतीयों के लिए जानना क्यों जरूरी

भाजपा सांसद बांसुरी स्वराज ने केजरीवाल को दी चुनौती, योजनाएं लागू करके दिखाएं

सभी देखें

नवीनतम

मां और 4 बहनों के हत्यारे अरशद का कबूलनामा, क्यों उठाया इतना बड़ा कदम

क्या शेख हसीना की पार्टी बांग्लादेश में लड़ पाएगी चुनाव?

गुजरात के कच्छ में भूकंप के झटके, केन्द्र भचाऊ के पास

जलगांव में हिंसा भड़की, हॉर्न बजाने को लेकर विवाद, मंत्री के गांव में दो गुट भिड़े, कर्फ्यू लगाया

दिल्ली चुनाव से पहले चिट्‍ठी युद्ध, केजरीवाल ने भागवत को लिखी, सचदेवा ने Kejriwal को