यूपी का आजमगढ़ है आतंकियों का गढ़: अमित शाह

Webdunia
सोमवार, 5 मई 2014 (11:25 IST)
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आजमगढ़। भारतीय जनता पार्टी के प्रधानमंत्री पद के उम्‍मीदवार नरेंद्र मोदी के करीबी और भाजपा के उत्तर प्रदेश के प्रभारी महासचिज अमित शाह ने एक बार फिर आपत्तिजनक बयान दिया है। इससे अमित शाह की मुश्किलें बढ़ सकती हैं, क्‍योंकि समाजवादी पार्टी उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ पर दिए गए इस बयान पर चुनाव आयोग से शिकायत करने जा रही है।

अमित शाह के इस बयान से खासा विवाद उत्पन्न हो गया है। एक ओर जहां दिग्विजय सिंह ने इसकी आलोचना की है वहीं मायावती ने इस पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा कि शाह पर सख्त कर्रवाई होना चाहिए। उन्होंने कहा कि यूपी में इनके आने पर रोक लगे। अमित शाह को उत्तर प्रदेश नहीं आने देना चाहिए।

अमित शाह ने रविवार को आजमगढ लोकसभा सीट से पार्टी के उम्मीदवार रमाकांत यादव के समर्थन में आयोजित एक चुनावी जनसभा को संबोधित करते हुए कहा, ‘आजमगढ आतंकवादियों का ठिकाना है, इसलिए कि समाजवादी पार्टी की सरकार उनको (आतंकी मामलों में गिरफ्तार) छोड़ने की पैरवी कर रही है।’

अमित शाह ने कहा, 'यूपी में आतंकियों को सरकार का कोई डर नहीं है और यहां के आतंकी देशभर में दहशत फैला रहे हैं।' शाह के इस बायन पर समाजवादी पार्टी की तरफ से तीखी प्रतिक्रिया आई है। सपा ने चुनाव आयोग से उनके खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है।

आगे अमित ने कहा, 'यूपी सरकार ने वीरों की भूमि आजमगढ़ को आतंक का अड्डा बना दिया है। नेताजी वोट बैंक की राजनीति तो करिए, लेकिन आतंकियों के मुद्दे पर नहीं।'

शाह ने उत्तर प्रदेश की बदहाली के लिए जातिवादी राजनीति को जिम्मेदार ठहराया और कहा कि सपा अध्यक्ष मुलायम और बसपा अध्यक्ष मायावती प्रधानमंत्री बनने का ख्वाब देख रहे हैं, जबकि उत्तर प्रदेश के बाहर इनका कोई वजूद नहीं है।

गौरतलब है कि अमित शाह एक बार पहले भी भड़काऊ भाषण देने के मामले में फंस चुके हैं। चुनाव आयोग ने तब शाह को चेतावनी देकर माफ कर दिया था।

बयान पर भड़के दिग्विजय सिंह, अगले पन्ने पर...


कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने ट्विटर पर लिखा है, 'मैं आजमगढ़ के बारे में अमित शाह के बयान की सख्त आलोचना करता हूं। चुनाव आयोग को कार्रवाई करनी चाहिए।'

दिग्विजय सिंह ने लिखा है कि विकास की बात छोड़कर मोदी और अमित शाह सांप्रदायिक प्रचार पर वापस आ गए हैं। उन्होंने ट्वीट किया, 'मोदी/अमित शाहर विकास से कम्यूनल प्रचार पर वापस आ गए हैं। वे भूल गए हैं कि मोडासा बम धमाकों में संघी कार्यकर्ता शामिल थे।'

दिग्विजय सिंह ने ट्विटर पर लिखा है, 'आजमगढ़ हिंदू-मुस्लिम एकता का प्रतीक रहा है। यहां 1947 में और 1992 में बाबरी मस्जिद गिराए जाने के बाद भी कोई दंगा नहीं हुआ था।'

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