दो तमिलों को ब्रिटेन में रहने का अधिकार

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ब्रिटेन में सरकार से शरण देने की माँग खारिज होने के बाद वहाँ की अदालत ने दो श्रीलंकाई तमिल नागरिकों को देश में रहने का अधिकार दे दिया है। ब्रिटेन की अपीलीय अदालत ने पिछले सप्ताह इस मामले की सुनवाई करने के बाद यह आदेश दिया कि दोनों भाई बहनों को देश में रहने की इजाजत दी जाएँ। न्यायमूर्ति सिडली, न्यायमूर्ति एर्डेन और न्यायमूर्ति मोसेज की पीठ ने अपने आदेश में कहा कि इन दोनों को स्वदेश भेजने से मानवाधिकार पर यूरोपीय समझौते में उल्लेखित जीने के अधिकार का उल्लंघन होगा।

अदालत ने अपने फैसले में कहा कि यदि इन दोनों को श्रीलंका वापस भेजा जाता है कि तो उनके सामने उस विपरीत परिस्थिति से बचने का एकमात्र तरीका अपना जीवन समाप्त करना ही होगा। इसका मतलब है कि इन्हें स्वदेश भेजने से मानवाधिकार पर यूरोपीय समझौते में उल्लेखित जीने के अधिकार का उल्लंघन होगा।

इन दोनों भाई बहनों ने दावा किया था कि श्रीलंका में सरकार और विद्रोही संगठन लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल (ईलम-लिट्टे) के बीच कई दशकों से जारी संघर्ष के कारण जेल में बंदी के दौरान उन्हें यातनाएँ देने के साथ ही बलात्कार भी किया गया।

इन दोनों तमिल नागरिकों को ब्रिटेन में शरण देने का अनुरोध खारिज कर दिया गया था लेकिन दोनों ने अपने को स्वदेश भेजे जाने का विरोध किया। इसके साथ ही दोनों ने धमकी दी कि यदि उन्हें वापस श्रीलंका भेजा गया तो वे आत्महत्या कर लेंगे।

वहीं गृह मंत्रालय ने न्यायालय के इस आदेश पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि इससे देश में गैरकानूनी ढंग से प्रवेश करने वाले किसी भी व्यक्ति के लिए यहाँ रहने का अधिकार प्राप्त करना आसान हो जाएगा। अप्रवासी मामलों के मंत्री फिल वूल्स ने कहा कि वह इस निर्णय के खिलाफ हाउस ऑफ लार्ड्स में अपील करेंगे।

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