रमता जोगी, बहता पानी

Webdunia
- हरनारायण शुक्ला

 
FILE

रम गया मैं रम के तट पर, बहता पानी देखकर।
मैं तो ठहरा रमता जोगी, रम पीऊंगा जी भर कर।

बोतल प्याले तोड़ दिए, अब डुबकी लेकर पीता हूं।
भर-भर के मटके लाता, जो पीता और पिलाता हूं।

रम नदिया का दृश्य मनोरम, मंत्रमुग्ध होता जाऊं।
मदहोशी का आलम है, स्वप्नों में खोता जाऊं।

रम और मिसीसिपी का संगम, कुछ कदम ही आगे है।
रम मिलते ही मिसीसिपी भी, इठलाती बलखाती है।

बूंद-बूंद में राम समाया, रम नदिया के पानी में।
ऐसे रम को पीकर प्यारे, सदा रहो अलमस्ती में।

वेबदुनिया पर पढ़ें

Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

सावन में कढ़ी क्यों नहीं खाते? क्या है आयुर्वेदिक कारण? जानिए बेहतर विकल्प

हर किसी के लिए सुरक्षित नहीं होता आइस बाथ, ट्रेंड के पीछे भागकर ना करें ऐसी गलती

सावन में हुआ है बेटे का जन्म तो लाड़ले को दीजिए शिव से प्रभावित नाम, जीवन पर बना रहेगा बाबा का आशीर्वाद

बारिश के मौसम में साधारण दूध की चाय नहीं, बबल टी करें ट्राई, मानसून के लिए परफेक्ट हैं ये 7 बबल टी ऑप्शन्स

इस मानसून में काढ़ा क्यों है सबसे असरदार इम्युनिटी बूस्टर ड्रिंक? जानिए बॉडी में कैसे करता है ये काम

सभी देखें

नवीनतम

क्या हमेशा मल्टी ग्रेन आटे की रोटी खाना है सेहतमंद, जान लें ये जरूरी बात

7 चौंकाने वाले असर जो खाना स्किप करने से आपकी बॉडी पर पड़ते हैं, जानिए क्या कहती है हेल्थ साइंस

मानसून में डेंगू के खतरे से बचने के लिए आज ही अपना लें ये 5 आसान घरेलु उपाय

ऑपरेशन सिंदूर पर शानदार कविता: भारत के स्वाभिमान और देशभक्ति की भावना से ओतप्रोत पंक्तियां

शताब्दी वर्ष में समाज परिवर्तन के लिए सक्रिय संघ