अपने ह्रदय के कपाट खोल दो

Webdunia
- डॉ. राधा गुप्ता

ND
तुम क्या जानो
प्यार क्या है
प्यार की उपादेयता क्या है
तुम तो बस !
विचरते हो स्वप्नलोक में
केंद्रित हो अपने में
भ्रमित हो अर्थ के इंद्रजाल में
जिसका कोई
आदि नहीं
अंत नहीं
केवल, एक तृष्‍णा
मृगतृष्‍णा...
और कुछ नहीं
चलो !
उठो, जागो, चेतो
और अपनी आत्मसत्ता का
अनुसंधान करो
जिसमें जल है, प्रवाह नहीं
थल है, स्थिति नहीं
आकाश है, व्याप्ति नहीं
तुम्हारी गति-अ‍गति की
यह संधि वेला
अपने निविड़ विस्तार में
अपार रिक्तता समेटे
तुम्हारी चैतन्य की विपुलता का
आह्वान कर रही है
क्षण भर !
केवल क्षण भर !
अपने ह्रदय कपाट खोल दो !

साभार- गर्भनाल

Show comments

पेट के लिए वरदान है जामुन, जानिए इसके चमत्कारी फायदे

सावधान! अधूरी नींद की वजह से खुद को ही खाने लगता है आपका दिमाग

पाकिस्तान में बेनाम सामूहिक कब्रों के पास बिलखती महिलाएं कौन हैं...?

मिस वर्ल्ड 2025 ने 16 की उम्र में कैंसर से जीती थी जंग, जानिए सोनू सूद के किस सवाल के जवाब ने जिताया ओपल को ताज

ऑपरेशन सिंदूर पर निबंध: आतंकवाद के खिलाफ भारत का अडिग संकल्प, देश के माथे पर जीत का तिलक

पापा मेरी जान हरदम रखना अब सर पर ये हाथ तुम... फादर्स डे पर समर्पित पिता पर 10 लाइन

जयंती विशेष: कबीर दास जी पर निबंध

कैंसर बढ़ाने वाले 6 खतरनाक फूड्स और उनके हेल्दी विकल्प: जानिए क्या खाना है और क्या नहीं

भारतीय ज्ञान परंपरा में ध्यान के विभिन्न स्वरूप जानें

हिन्दी कविता: प्रेम में पूर्णिमा नहीं होती