आँसू

डॉ. राधा गुप्ता

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मत बनाओ आँसुओं को
अपने जीवन का सहारा
आँसुओं का स्वाद खारा

दृष्‍टियों में फूल गूँथों
छंद अधरों में सजाओ
कल्पना में डूब सुख की
कर्म की वीणा बजाओ
विषाद के दलदल में फँसकर
प्राण देना उचित नहीं
खोजिए पीयूष धारा
आँसुओं का स्वाद खारा

जंग लगने दीजिए मत
योग्यता के शस्त्र में
गंदनी लगने न देना
जिंदगी के वस्त्र में
एक सुख की चाह में
वारो न अगिणत नित्य के सुख
सहज में जो प्राप्य
उस पर अधिकार हमारा
आँसुओं का स्वाद खारा

मत बनाओ आँसुओं को
अपने जीवन का सहारा
आँसुओं का स्वाद खारा।

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