काली औरत के सपने

- जेन भंडारी

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काली औरत के सपने
बहुत उजले-उजले हैं
और उसकी सच्चाई गहरी आबनूसी।

वह पैदा हुई है एक दर्द के साथ
जिसे कोई रंग नहीं दिया जा सकता।

वह पानी का रंग उधार लेती है
अपनी आंखों को भरने के लिए
और गहरे जख्मों में तैरने कल लिए
अपने काले बदन के।

अपने होंठों पर दबाती हुई मौन चीख
हर काले आदमी का।

और भी काली हो जा‍‍ती है वह
उसके ख्याल उड़ जाते हैं
सफेद चिडि़यों की तरह
चांदनी के टुकड़े बीन लाने को।

अपनी गोद भरने को
एक काली औरत
काला पाप जीती है
और गोरे बच्चे की चाहत रखती है।
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