ये आलम होता है

Webdunia
- रवीश रंजन

1 मई 1986 को जलालदी टोला, गोपालगंज, बिहार में जन्म। इन दिनों चीन में एम.बी.बी.एस. की पढ़ाई कर रहे हैं। हिंदी साहित्य में गहरी रुचि रखते हैं ।

GN
ये आलम होता है
जुबाँ खुलती नहीं।
पलक झुकती नहीं।
साँस चलती नहीं
और धड़कनें तेज हो जाती हैं

जब भी देखता हूँ तुमको
ये आलम होता है
हम रोते नहीं
आँखों में नमी रहती है
दिल कुछ कहता नहीं
बस एक कमी रहती है

जब भी याद आती है तुम्हारी,
ये आलम होता है
हवा महक जाती है
सुर तराने बन जाते हैं
महफिल खामोश हो जाती है
हम कहीं खो जाते हैं
जब भी बात होती है तुम्हारी
ये आलम होता है।

Show comments

क्या शुगर के मरीज पी सकते हैं गुड़ वाली चाय? जानिए गुड़ के फायदे, नुकसान और सही मात्रा के बारे में।

गट हेल्थ को करना है रिसेट तो खाएं पोषक तत्वों से भरपूर होम मेड माउथ फ्रेशनर, वेट लॉस में भी है मददगार

पीरियड क्रेम्प से राहत दिलाती है ये होम मेड हर्बल चाय, पेनकिलर से ज्यादा होती है असरदार

सेंधा नमक खाएं मगर संभल कर, ज्यादा मात्रा में खाने से सेहत को हो सकते हैं ये नुकसान

ठण्ड के मौसम में पुदीना के सेवन से सेहत को मिलते हैं ये 5 जबरदस्त फायदे

प्रेम कविता : एक दिल को कितने घाव चाहिए

तेरे होंठों की हंसी मुझको...किस डे पर इन रोमांटिक शायरियों के साथ करें प्यार का इजहार

प्रेम कविता : मुझे कुछ कहना है

काशी पर कविता: प्रणम्य काशी

कौन थे वीर मराठा योद्धा छत्रपति संभाजी महाराज, जानिए क्यों कहलाते हैं 'छावा' और क्या है इस नाम का अर्थ