प्रवासी कविता : छोटी सी कश्ती...

पुष्पा परजिया
न उलझ जाऊं इस जहां के आडंबरों में, जब हो कभी मन की चंचलता,
न कर बैठूं कोई अपराध जब मन की हो अधीरता।
 
न जाऊं आड़े-टेढ़े रास्तों पर मैं ओ मेरी किस्मत के बनाने वाले,
बस विनती तुझसे है इतनी, चले आना आके तू सब संभाले। 
 
न छद्मवेशी इस दुनिया का छद्म एहसास और,
न कभी खोना चाहूं उन छद्म एहसासों की सांसों में।
 
न पाए जिंदगी के ये झरोखे किसी ऐसे एहसास को जिनमें,
न सच का साथ और न कोई विश्वास हो। 
 
न घिर जाऊं कभी आकर्षणों के भरम में, 
न जगे प्यास कभी उस चकाचौंध के रमण में।
 
न कर बैठूं गुनाह कोई लोभ में,
न दिल दुखे किसी का किसी मोह में,
न चाह हो धन पराया हड़पने की।
 
हे ईश्वर! गर भटक भी जाऊं राहें, मंजिलें मैं अपनी 
आकर संभाल लेना ये छोटी सी कश्ती मेरी।
Show comments

वर्कआउट करते समय क्यों पीते रहना चाहिए पानी? जानें इसके फायदे

तपती धूप से घर लौटने के बाद नहीं करना चाहिए ये 5 काम, हो सकते हैं बीमार

सिर्फ स्वाद ही नहीं सेहत के लिए बहुत फायदेमंद है खाने में तड़का, आयुर्वेद में भी जानें इसका महत्व

विश्‍व हास्य दिवस कब और क्यों मनाया जाता है?

समर में दिखना है कूल तो ट्राई करें इस तरह के ब्राइट और ट्रेंडी आउटफिट

Happy Laughter Day: वर्ल्ड लाफ्टर डे पर पढ़ें विद्वानों के 10 अनमोल कथन

संपत्तियों के सर्वे, पुनर्वितरण, कांग्रेस और विवाद

World laughter day 2024: विश्‍व हास्य दिवस कब और क्यों मनाया जाता है?

फ़िरदौस ख़ान को मिला बेस्ट वालंटियर अवॉर्ड

01 मई: महाराष्ट्र एवं गुजरात स्थापना दिवस, जानें इस दिन के बारे में

अगला लेख