Webdunia - Bharat's app for daily news and videos

Install App

Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

शाहीन बाग की घटना पर कविता : प्रेम, दिल्ली, होली

हमें फॉलो करें webdunia
webdunia

रेखा भाटिया

फूलों को थामते-थमाते,
कब वह दिल में उतर आए,
कुछ प्यारा-सा अहसास उन्हें हुआ,
अब होने लगा हमें भी वही अहसास!
 
नज़रें मिलती बीच हवा सरक जाती,
लबों को मिलने की तमन्ना सताती,
अंगुलियों में उलझी अंगुलियां देर तक,
भीगे सुरों में डूब गुनगुनाते प्रेम आलाप! 
 
चांद, सूरज, तारे खामोश गवाह,
पखेरू हमारे मिलन गीत गाते,
दरख़्त छेड़ते प्रेम संगीत रूहानी,
उन्हें भी हो चला वही अहसास!
 
दिलों का सफर चाहत जन्मों की,
जिस्मों के आगे रूहों में झांका भीतर,
हरियाली केसरी अल्लाह-राम रंगें,
दिलवालों की दिल्ली में अपना मिलन!
 
होली में घोल लें इस रंगों को,
प्रेम के रंग खूब उड़ेंगे चांदनी चौक पर,
लाल किला झूमेगा अन्य रंगों को पाकर,
छूमंतर जंतर मंतर प्रेम का जादू इन पर!
 
नींदें जागी हैं रूहानी जहान हमारा दिल्ली,
ख़्वाब ही था, रूहों परे इंसानों को ढूंढ़ते,
खून से रंगें शैतान यहां, हर दिल रो रहा,
लाशों संग बिछ जाएंगें अहसास हमारे!
 
प्रेम डरा है, सुना था दिलवालों की दिल्ली,
अपने शोर में बहरे नफ़रत का राग गाए,
दिल भी बदल जाते नोटों वोटों की दिल्ली,
दिल से बाहर बहता लहू काला पड़ गया!
 
चलो आज अहसास दबा रूहों को समझाएंगे,
हरियाली केसरी भूल रूहानी रंग में रंग जाएंगे,
फूल थामते-थमाते शायद इंसान बन जाएं,
इंसानियत में जगे कभी तो होली संग मनाएंगे! 
 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

इटली त्रासदी: जो तस्‍वीर में रो रहे हैं वो इटली के पीएम नहीं, ब्राजील के ये शख्‍स हैं