1973 में जन्म। बी. कॉम., बिजनेस मेनेजमेंट में डिप्लोमा। 1997 से अमेरिका में। गीत, कविताएँ, शेरों-शायरी में रुचि। कवि सम्मेलनों को पसंद करती हैं और अशोक चक्रधर पसंदीदा कवियों में शामिल।
कह दो अपनों से भले ही विचार अलग हों हम फिर भी एक हैं कितने ही एक-दूसरे से दूर हों फिर भी दिल से करीब हैं
छोटी-सी जिंदगी है क्यों उसे नाराजगी में यूँ ही जिए जाओ एक पल भी हँसी का मिले जो उसे अपनी यादों में बसाए जाओ
ये तुम भी जानते हो कि वे तुम्हें उतना ही चाहते हैं जितना कि तुम उन्हे ं ये बात अलग है कि एक-दूसरे से कह नहीं पाते बस कहने से शरमाते हैं
कह दो अपनों से किसी का दिल दुखा है
अगर अपनी बातों से आदतों स े गलत इरादों से बता दो उन्हें तुम शर्मिंदा हो मान जाएँगे मनाओ जो तुम प्यार से
जो आज है वो कल न होगा बस पछतावा रह जाएगा अपने इस आज को यूँ ना सजा दो आज किया हु आकल भविष्य बन जाएगा।
सदा रहे कोई जहाँ में ऐसा किसी को वरदान नहीं लेकर जीना नफरत दिल में अच्छी ये पहचान नहीं
जिंदगी तो वहीं है प्यार भरे गुजरें चार दिन ऐसा जीना मंजूर नहीं जिसमें घुट-घुट के बीते दिन ।