मेरे वतन की स्मृति, मेरे वतन की मिट्टी है इस देश की पहचान, इस देश का सोना है वो मिट्टी बारिश की सौंधी मधुर महक है यह सोना तो बस बाहरी चमक-दमक है
वो मिट्टी अमर ममता का खजाना है यह सोना तो आज पाना और कल खोना है उस मिट्टी के गागर में सर्दियों का ज्ञान सागर है यह सोना तो मात्र भौतिक-सुख-रत्नाकर है
उस मिट्टी के कण-कण से हमारा हर जन्म का रिश्ता है इस धरती पर तो हर रिश्ता सोने से सस्ता है वो भूमि हर भाषा, हर धर्म, हर विद्या की मूल भूमि है यह भूमि भी हमारी मातृ-भूमि की खोज की निशानी है।