क्यों?

Webdunia
- डॉ. मधु संधु

ND
दशकों से
सदियों से
युगों से भटक रहे हो
गौतम बुद्ध बनने के लिए
मुक्ति पाने के लिए
अमर होने के लिए
सातवाँ आसमान छूने के लिए
धर्म अर्थ यश काम मोक्ष पाने के लिए।

मुझे वित्ता भर स्पेस देकर
चले जाते हो
कभी कंदराओं में
कभी बौद्धि वृक्ष तले
कभी तीर्थ या विदेश यात्रा पर
कभी राजधानी या वेश्यालओं में।

पर मेरा दु:ख यह है
कि मुझे
जरा-सी स्पेस देकर
फिर लौट आते हो
क्यों?

प्रतीक्षा और भटकन के
इस मिथ से
कब मुक्त होंगे हम।

साभार- गर्भनाल

Show comments

होली 2025: भांग और ठंडाई में क्या है अंतर? दोनों को पीने से शरीर पर क्या असर होता है?

होली सिर्फ उत्सव नहीं, बल्कि जीवन जीने की कला है... होली 2025 पर 10 लाइन निबंध हिंदी में

महिलाओं के लिए टॉनिक से कम नहीं है हनुमान फल, जानिए इसके सेवन के लाभ

चुकंदर वाली छाछ पीने से सेहत को मिलते हैं ये अद्भुत फायदे, जानिए कैसे बनती है ये स्वादिष्ट छाछ

मुलेठी चबाने से शरीर को मिलते हैं ये 3 गजब के फायदे, जानकर रह जाएंगे दंग

Holi 2025: होली के रंगों से कैसे बदल सकते हैं जीवन, कैसे दूर होगा ग्रह और गृह दोष

कामकाज व निजी जिंदगी के बीच संतुलन न होने से 52 प्रतिशत कर्मचारी बर्नआउट के शिकार

होलिका दहन से पहले घर से हटा दें ये नकारात्मक चीजें, घर में होगा सुख और संपत्ति का आगमन

होली की चटपटी मनोरंजक कहानी : रंगों का जादू

बच्चों के लिए होली की प्रेरक कहानी : प्रह्लाद और होलिका