ध्यानमग्न झील

मिशिगन झील पर एक कविता

Webdunia
- डॉ. हरि जोशी

GN
क्यों तरंग से रहित आज विस्तीर्ण जलाशय
दूर-दूर तक जल ही जल सुखमय निर्भय
गहाराई बीच में किनारे बतला सकते थाह
तन की डुबकी का आनंद नहीं उसमें
पर समीप होने का छू लेने का उत्साह
ध्यानमग्न साध्वी के निकट बैठ लेने की चाह।

श्वास मंद उपवास मौनव्रत भी कठोरतम
नख से शिख न क्रिया प्रतिक्रिया अथवा स्पंदन
यद्यपि सांस चल रही सधी वन पान न खड़के
आवागमन श्वास का राम नाम बढ़-चढ़ के
पहुँचे हुए संत की जिज्ञासु शिष्या यह झी ल

परमानंद की शीर्ष स्थिति पा अविचल
समाधिस्थ परिपूर्ण आत्मानुभूति केंद्रित
सुध-बुध खो चुकी विशाल मिशिगन झील।
Show comments

गर्मियों में इन 10 बीमारियों का खतरा रहता है सबसे ज्यादा, जानें कैसे करें बचाव

गर्मियों में भेज रहे हैं बच्चे को स्कूल तो न करें ये 10 गलतियां

सेहत के लिए बहुत फायदेमंद है आंवला और शहद, जानें 7 फायदे

ग्लोइंग स्किन के लिए चेहरे पर लगाएं चंदन और मुल्तानी मिट्टी का उबटन

थकान भरे दिन के बाद लगता है बुखार जैसा तो जानें इसके कारण और बचाव

गर्मियों में पीरियड्स के दौरान इन 5 हाइजीन टिप्स का रखें ध्यान

मेंटल हेल्थ को भी प्रभावित करती है आयरन की कमी, जानें इसके लक्षण

सिर्फ 10 रुपए में हटाएं आंखों के नीचे से डार्क सर्कल, जानें 5 आसान टिप्स

क्या है ASMR जिसे सुनते ही होता है शांत महसूस? जानें सेहत के लिए कैसे है फायदेमंद

Ramanujan :भारत के महान गणितज्ञ रामानुजन की 5 खास बातें