गाँधीजी के उपहारों की नीलामी होगी

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राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी के चश्में और अन्य वस्तुओं के बाद अब उनके द्वारा दिए गए उपहार की नीलामी की बारी है। महात्मा गाँधी ने अपनी आइरिश मित्र एम्मा हार्कर को उपहारस्वरूप भगवान बुद्ध की एक प्रतिमा भेंट की थी। इस उपहार की बोली आठ सितंबर को लगेगी। एशियाई कला के बोनहैम्स सेल में शामिल 13 इंच की इस प्रतिमा की कीमत लगभग चार लाख रुपए आँकी जा रही है।

इस महीने के 14 जुलाई को गाँधीजी के हस्ताक्षरित तीन पत्रों की नीलामी 4,750 पाउंड (लगभग तीन लाख अस्सी हजार रुपए) में हुई थी, जबकि उनके हाथ का बुना और हस्ताक्षर किया खादी का कपड़ा 2,215 पाउंड (लगभग एक लाख अठहत्तर हजार) में बिका।

एम्मा हार्कर सरोजनी नायडू की मित्र थीं और उन्हीं के जरिए गाँधीजी के संपर्क में आई। अपनी बेटी से मिलने के लिए वह प्रायः भारत आया करती थीं। जब भी भारत आती थीं, वह गाँधीजी से जरूर मिलती थीं। बापू से प्रेरित होकर उन्होंने बिहार और उड़ीसा में आई बाढ़ के दौरान एक स्वयंसेवक के रूप में काम किया था।

इस पर गाँधी ने 19 सितंबर, 1934 को एम्मा को पत्र लिखा। नीलाम घर बोनहैम्स के मुताबिक, शायद यही वह मौका था, जब गाँधी ने हार्कर के कार्य से प्रभावित होकर उन्हें भगवान बुद्ध की यह प्रतिमा भेंट की। बोनहैम्स के एशियाई कला के प्रमुख जेम्स हैमंड ने बताया कि हार्कर की मृत्यु 1957 में हुई। उनकी गाँधीजी से अच्छी जान-पहचान थी। उन्होंने लंबे समय तक गाँधी से पत्राचार किया।

इस दौरान उन्होंने अपनी पोती का परिचय भी गाँधीजी से कराया। उनकी वही पोती इस प्रतिमा की मौजूदा मालकिन हैं। हैमंड के अनुसार, 12 फरवरी 1928 को गाँधी ने साबरमती आश्रम से एम्मा को अपने खर्चों और आश्रम की जीवनशैली के बारे में एक लिखा था। एम्मा उस समय दिल्ली में रह रही थीं और वह उनसे मिलने के मौके को गँवाना नहीं चाहतीं थीं। उस दौरान वह कई बार साबरमती आश्रम गई। यही नहीं गाँधीजी ने उनकी यात्रा के दौरान उन्हें आश्रम में सिगरेट पीने की अनुमति दे रखी थी।

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