भारतीय महिला वैज्ञानिक सेर्न में कार्यरत

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डॉ. अर्चना शर्मा जेनेवा में दुनिया की सबसे बड़ी भूमिगत प्रयोगशाला सेर्न में स्टाफ फिजिसिस्ट के र ूप में कार्यरत हैं और प्रोटॉन बीम की टक्कर वाले प्रयोग में शामिल होने वाली एकमात्र भारतीय महिला वैज्ञानिक हैं।

भारत समेत दुनियाभर के 80 से ज्यादा देशों के 8,000 से ज्यादा वैज्ञानिकों की 14 साल की मेहनत गत दिवस सफल रही। प्रयोग से कहीं कोई ब्लैक होल पैदा नहीं हुआ और धरती उसमें समा नहीं गई। मंगलवार को एलएचसी में प्रोटॉन्स की शानदार टक्कर के बाद अब हमने अज्ञान के ब्लैकहोल से बाहर निकलकर विज्ञान के उजाले की ओर कदम बढ़ा दिए हैं।

अर्चना के अनुसार दुनिया की सबसे बड़ी प्रयोगशाला सेर्न, जहाँ मैं काम करती हूँ, उसे विज्ञान का तीर्थ कहा जाता है। वाकई सेर्न अब विज्ञान खासतौर पर फिजिक्स का सबसे बड़ा तीर्थ बन चुका है। अपने रिसर्च प्रोजेक्ट के सिलसिले में मैं कुछ दिन पहले सेर्न से भारत आई थी, अब वापस सेर्न लौट रही हूँ, लेकिन इस बीच दुनिया बदल चुकी है।

सेर्न में मौजूद दुनिया के सबसे बड़े पार्टिकिल कोलाइडर एलएचसी की सुरंगनुमा ट्यूब में लगभग रोशनी की रफ्तार से चक्कर काट रहे प्रोटॉन्स की आपस में टक्कर करवा दी गई। इस प्रयोग की सफलता से ब्रह्मांड की उत्पत्ति के रहस्य से पर्दा उठ सकता है।

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