लॉटरी सिस्टम से 85 हजार नए एच-1बी वीजा जारी

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वाशिंगटन। अमेरिकी सिटीजनशिप एंड इमीग्रेशन सर्विसेज ने एक लॉटरी पद्धति से 7 अप्रैल को 85 हजार नए एच-1बी वीजा जारी किए। उल्लेखनीय है कि इस अत्यधिक वांछित दस्तावेज के लिए वार्षिक सीमा (एनुअल कैप) पांच दिनों के भीतर ही भर गई थी।

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इसे अमेरिकी अर्थव्यवस्था के फिर से पटरी पर आने के संकेत के तौर पर देखा जा रहा है। अमेरिकी सिटीजन शिप एंड इमीग्रेशन सर्विसेज (यूएससीआईएस) को एक अप्रैल से पांच अप्रैल के बीच में 1 लाख 24 हजार आवेदन मिले थे। पिछले सप्ताहांत के दौरान अत्याधुनिक तकनीकी कौशल रखने वाले 65 हजार श्रमिकों को व‍ीजा दिए जाने का चयन बेतरतीब तरीके से लॉटरी पद्धति से किया। इसके साथ ही लॉटरी पद्धति से उन बीस हजार अतिरिक्त एच-1 बी वीजाओं को भी चुना जोकि अमेरिका की उच्चस्तरीय तकनीकी डिग्रियां रखते हैं।

यूएससीआईएस अब वीजा हासिल करने वालों को नोटिस जारी करेगी जोकि अमेरिका में एक अक्टूबर, 2013 से अपना काम शुरू कर सकेंगे। जिन आवेदकों ने 1225 डॉलर की प्रीमियम फी चुका दी है उन्हें अप्रैल के अंततक सूचना भेज दी जाएगी। जिन लोगों का चयन लॉटरी पद्धति के कारण नहीं हो सका है उनको भी सूचना दी जाएगी और उन्हें प्रोसेसिंग फी की 1225 डॉलर की राशि वापस कर दी जाएगी।

एच-1 बी एक नॉन इमीग्रेंट अमेरिकी वीजा है जिसका नवीनीकरण भी किया जा सकता है और इस वीजा के धारक लोग अमेरिकी में छह वर्ष तक रहकर काम कर सकते हैं। यह व्यवस्था कुशल विदेशी श्रमिकों के लिए है। वीजा जारी करने के संबंध में एक महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि अमेरिका में लॉटरी पद्धति से वीजा आवंटन अंतिम बार वर्ष 2008 में किया गया था जबकि आवेदन सीजन शुरू होने के बाद एजेंसी को पांच दिनों में 1 लाख 63 हजार आवेदन मिले थे। अमेरिका में एच-1बी वीजा के तहत काम करने वाले विदेशी श्रमिकों में मोटे तौर पर 58 फीसद भारतीय हैं।

अमेरिका में एच-1 बी वीजा की सीमा तय करने के आलोचकों का कहना है कि ऐसा करने से अमेरिकी अर्थव्यवस्था की वृद्धि प्रभावित होती है। इसलिए देश के शीर्ष कारोबारी नेताओं के अलावा बहुत से अमेरिकी कांग्रेसमैन और सीनेटरों का कहना है कि इसके आवंटन में या तो सुधार किया जाए या फिर इसकी सीमा को पूरी तरह से समाप्त कर देना चाहिए। (वेबदुनिया)

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