बीजिंग ओलंपिक 2008: एकल प्रतियोगिता मे गोल्ड लाने वाले पहले भारतीय खिलाड़ी बने शूटर 'अभिनव बिंद्रा'

Webdunia
गुरुवार, 15 जुलाई 2021 (16:56 IST)
बीजिंग ओलंपिक 2008 में भारत ने 108 वर्षों के अपने ओलम्पिक इतिहास का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए एक स्वर्ण और दो काँस्य सहित कुल तीन पदक जीतकर बीजिंग ओलम्पिक में अपने अभियान का समापन कर दिया।
 
बीजिंग ओलम्पिक में निशानेबाज अभिनव बिंद्रा ने 10 मीटर एयर रायफल स्पर्द्धा का स्वर्ण जीता, जबकि पहलवान सुशील कुमार ने 66 किलोग्राम फ्रीस्टाइल वर्ग में काँस्य पदक और मुक्केबाज विजेन्द्र कुमार ने 75 किग्रा मिडलवेट वर्ग में काँस्य पदक अपने नाम किया। खेलों के 14वें दिन शुक्रवार को विजेन्द्र के काँस्य पदक जीतने और महिला रिले टीम के हीट से ही बाहर हो जाने के साथ इन खेलों में भारतीय अभियान समाप्त हो गया।
 
इनके अलावा बैडमिंटन खिलाड़ी साइना नेहवाल महिला एकल के क्वार्टर फाइनल में पहुँची, जबकि महिला तीरंदाजी टीम ने भी क्वार्टर फाइनल तक का सफर तय किया। भारत के दो मुक्केबाज अखिल कुमार और जितेन्द्र कुमार भी क्वार्टर फाइनल में पहुँचे।
 
इस लिहाज से देखा जाए तो भारत का ओलम्पिक में यह अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन था। भारत को यदि बड़ी निराशा हाथ लगी तो वह एथलेटिक्स थी, जहाँ उसके नौ एथलीट तथा महिला रिले टीम में से कोई भी अगले राउंड में नहीं पहुँच सका।
 
नौ निशानेबाजों में गोल्डन ब्वॉय अभिनव बिंद्रा को छोड़कर अन्य आठ में से कोई भी फाइनल में नहीं पहुँच सका। तैराकी, टेबल टेनिस, जूडो, नौकायन आदि स्पर्धाओं में भारतीय चुनौती किसी भी लिहाज से उल्लेखनीय नहीं रही।
 
एथलेटिक्स में लाँग जंपर अंजू बॉबी जार्ज ने क्वालीफाईंग में अपने तीनों प्रयास फाउल किए और निराशाजनक रूप से बाहर हो गई। टेनिस स्टार सानिया मिर्जा ने कलाई की चोट के कारण अपना पहला एकल मैच अधूरा छोड़ दिया, जबकि युगल में वे पहले राउंड में बाहर हो गईं।
 
बैडमिंटन में पुरुष खिलाड़ी अनूप श्रीधर दूसरे राउंड में बाहर हुए। टेबल टेनिस में नेहा अग्रवाल की चुनौती पहले राउंड में टूटी, जबकि अचंत, शरत और कमल दूसरे राउंड में पहुँचकर हारे। तीरंदाजी में मंगलसिंह चंपिया पहले राउंड में अच्छा प्रदर्शन करने के बाद दूसरे राउंड में उम्मीदों का साथ छोड़ गए। महिला तीरंदाजी टीम क्वार्टर फाइनल में मेजबान चीन से हारी।
निशानेबाजी में गत एथेंस ओलिम्पिक के रजत विजेता राज्यवर्द्धनसिंह राठौर का फाइनल में न पहुँच पाना सबसे ज्यादा निराशाजनक रहा। गत वर्ष के राजीव गाँधी खेल रत्न पुरस्कार विजेता मानवजीतसिंह संधू, तीसरा ओलिम्पिक खेलने उतरी अंजलि भागवत, चौथा ओलिम्पिक खेल रहे मनशेरसिंह, मेलबोर्न राष्ट्रमंडल खेलों के हीरो समरेश जंग और विश्व चैंपियन गगन नारंग ने भी खासा निराश किया।
 
बीजिंग ओलिम्पिक में 56 सदस्यीय भारतीय दल ने भाग लिया, जिनमें से तीन खिलाड़ियों ने व्यक्तिगत पदक जीतने में सफलता हासिल की। यह पहला मौका था, जब भारत ने एक ओलिम्पिक में तीन पदक जीते हैं, जो ओलिम्पिक में उसके 108 वर्षों के इतिहास का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन था।
 
इससे पहले भारत ओलिम्पिक में केवल दो बार 2 पदक जीत पाया था। वर्ष 1900 के पेरिस ओलिम्पिक में भारत ने दो रजत पदक जीते थे, जबकि 1952 के हेलसिंकी ओलिम्पिक में उसके खाते में एक स्वर्ण और एक रजत पदक आया था।
 
हेलसिंकी का प्रदर्शन भारत का ओलिम्पिक में बीजिंग से पहले सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन था। हेलसिंकी में भारत ने हॉकी में स्वर्ण और कुश्ती में काँस्य पदक जीता था, लेकिन बीजिंग में भारत इनसे आगे निकल गया।
बिंद्रा ओलिम्पिक में व्यक्तिगत स्वर्ण जीतने वाले पहले भारतीय खिलाड़ी बने। पहलवान सुशील ने 56 वर्षों के अंतराल के बाद देश को कुश्ती में कोई पदक दिलाया। इससे पहले पहलवान केडी जाधव ने 1952 के हेलसिंकी ओलिम्पिक में काँस्य पदक जीता था। विजेन्द्र मुक्केबाजी में पदक जीतने वाले पहले भारतीय बने।
 
हालाँकि इस बार भारत ने कामयाबी का तीसरा चरण भी छू लिया। विश्व प्रसिद्ध एकांउटेंसी फर्म प्राइस वाटर हाउस कूपर्स ने बीजिंग ओलिम्पिक में भारत के छह पदक जीतने की जो भविष्यवाणी की थी, वह 50 प्रतिशत पूरी हो गई।

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