'मुसलमानों के लिए दाढ़ी जरूरी नहीं'

Webdunia
सोमवार, 28 जून 2010 (13:34 IST)
BBC
सोमालिया में हिजबुल-इस्लाम के चरमपंथियों ने मोगादिशू में पुरुषों के लिए फरमान जारी किया किया है कि वे अपनी दाढ़ी बढ़ाएँ और अपनी मूछों को साफ-सुथरा रखें।

यह फरमान जारी करते हुए हिजबुल-इस्लाम के एक चरमपंथी ने कहा, 'इस कानून का उल्लंघन करने वाले को गंभीर नतीजे भुगतने पड़ेंगे।'

लेकिन क्या दाढ़ी रखना इस्लाम में जरूरी है?

यूनिवर्सिटी ऑफ लंदन में स्कूल ऑफ ओरिएंटल एंड अफ्रीकन स्टडीज़ के प्रोफेसर मुहम्मद अब्दुल हलीम का कहना है कि ऐसा नहीं है।

हलीम कहते हैं कि यह व्यक्ति पर निर्भर है कि वह अपनी दाढ़ी बढ़ाना चाहता है या नहीं। ऐसा वे ढेर सारे मुस्लिम बहुल देशों के इस्लामी कानून के जानकारों के हवाले से कह रहे हैं।

दाढ़ी रखने के बारे में इस्लाम के पैगंबर मोहम्मद के विचारों के बारे में मुसलमानों को राय उनकी धार्मिक पुस्तक कुरान से नहीं बल्कि हदीस से मिलती है। हदीस पैगंबर के वक्तव्यों का संग्रह है।

हदीसों का संग्रह करने वाले सही बुखारी सदियों पहले हदीस का हवाला देते हुए कहते हैं, 'अपनी मूछों को छोटा काट दीजिए और दाढ़ी बढ़ने दीजिए।'

ऐसी मान्यता है कि पैगंबर मोहम्मद दाढ़ी रखते थे। जो लोग इस बात पर जोर देते हैं कि सच्चे मुसलमान दाढ़ी रखते हैं, उनका तर्क है कि वे तो सिर्फ पैगंबर ने जो किया, उसी का पालन करने के लिए कह रहे हैं।

थोपना ठीक नहीं : लेकिन सवाल उठता है कि क्या इसे थोपा जाना चाहिए?

अब्दुल हलीम का कहना है, 'इस्लामी कानून की कोई भी संस्था इसे एक अनुमोदन या सुझाव के तौर पर ही मानती है- ज्यादा से ज्यादा इसे धार्मिक आदेश और व्यक्ति की अपनी मर्जी के बीच रखा जा सकता है।'

वे कहते हैं, 'बावजूद इसके यह एक सुझाव भर ही है।'

अब्दुल हलीम का कहना है, 'एक समय अफग़ानिस्तान में शासन करने वाले तालिबान और सोमालिया में कुछ इस्लामी संगठन के अनुयायी सशर्त दाढ़ी रखने की माँग करते हैं और इसका पालन न किए जाने पर सजा देने की धमकी देते हैं, लेकिन ऐसे मुसलमान अल्पमत में हैं।'

हर मुसलमान अपनी पसंद से और बिना किसी डर के धार्मिक परंपरा अपनाने के लिए स्वतंत्र है। ब्रिटेन स्थित ब्रिगटन इस्लामिक मिशन के इमाम अब्दुलजलील साजिद इस बात पर अपनी सहमति जताते हैं।

उनका कहना है, 'मेरे विचार में यह कुछ-कुछ ऐसा है कि महिलाएँ सिर पर स्कार्फ पहनें या नहीं। यह नमाज या रोजा जैसे इस्लाम में अनिवार्य चीजों जैसा नहीं है।'

शिया इस्लाम के अनुयायी आम तौर पर हल्की दाढ़ी रखते हैं जो अक्सर दो या तीन दिनों की बढ़ी दाढ़ी होती है।

ज्यादातर इस्लामी विद्वान चाहे वे शिया हों, या सुन्नी-पैगंबर का अनुसरण करते हुए दाढ़ी रखते हैं। हालाँकि मिस्र, जॉर्डन और तुर्की में आपको ऐसे भी इस्लामी विद्वान मिल जाएँगे जो दाढ़ी नहीं रखते।

Show comments

जरूर पढ़ें

Raja Raghuvanshi murder : क्या राज की दादी को पता थे सोनम के राज, सदमे में हुई मौत, पोते को बताया था निर्दोष

जनगणना कैसे की जाती है और क्या है census का महत्व? संपूर्ण जानकारी

New FASTag Annual Pass Details : 3000 रुपए का नया FASTag, 200 ट्रिप, 7,000 की होगी बचत, 15 अगस्त से शुरुआत, नितिन गडकरी ने दी जानकारी

भारत के किस राज्य में कितनी है मुसलमानों की हिस्सेदारी, जानिए सबसे ज्यादा और सबसे कम मुस्लिम आबादी वाले राज्य

SIM Card के लिए सरकार ने बनाए नए Rules, KYC में पड़ेगी इन दस्तावेजों की जरूरत

सभी देखें

समाचार

Gold-silver prices : सस्ता हुआ सोना, युद्ध जैसे हालातों में क्या सेफ Investment, चांदी की कीमतों में भी गिरावट

Himachal Pradesh : जर्मनी में MBA कर रहा युवक लापता, परिवार ने CM सुक्खू से लगाई यह गुहार

Iran Vs Israel : ईरान को लेकर रूस ने अमेरिका को दी चेतावनी, पुतिन की चीनी राष्ट्रपति जिनपिंग से फोन पर बात, तीसरा विश्व युद्ध छिड़ने के कितने आसार

क्या है जगन्नाथ भगवान् में धड़कता है श्री कृष्ण का ह्रदय, क्या है ब्रह्म तत्व का अबूझ रहस्य

मुख्‍यमंत्री कैंप कार्यालय में धामी ने कर्मचारियों के साथ किया योग