मैत्रेय बुद्ध का अवतरण!

ओशो
जे.कृष्णमूर्ति में बुद्ध के अवतरण का असफल प्रयोग
थियोसॉफिकल सोसायटी द्वारा किए गए प्रयोग का विवरण-

WD
... यानी वह वक्त करीब है जब मैत्रेय को जन्म लेना चाहिए। क्योंकि कुछ लोगों को इस बात का..जैसे ब्लावटस्की इस सदी में आकल्ट (पराविज्ञान) के संबंध में जानने वाली शायद सबसे गहरी समझदार महिला थी। उसके बाद एनीबेसेंट, लीडबीटर आदि थियोसॉफिकल सोसायटी के सदस्यों के पास कुछ समझ थी जो इस सदी में बहुत कम लोगों के पास थी।

... इन लोगों का प्रयास था कि बुद्ध के उन तीन शरीर को जो शक्ति दी गई थी उसके क्षीण होने का समय आ रहा है। अगर मैत्रेय जन्म नहीं लेता, तो वह शरीर बिखर सकते हैं और उनको इतने जोर से फेंका गया था वह अब उनका समय पूरा होने वाला है और किसी को अब तैयार होना चाहिए कि वह उन तीन शरीरों को धारण कर ले। जो व्यक्ति भी उन तीन शरीरों को धारण कर लेगा, वह ठीक अर्थ में बुद्ध का पुनर्जन्म होगा- अर्थात्‌ बुद्ध की आत्मा नहीं लौटेगी, इस व्यक्ति की आत्मा बुद्ध के शरीर ग्रहण करके बुद्ध का काम करने लगेगी- एकदम बुद्ध के काम में संलग्न...जे. कृष्णमूर्ति पर वहीं प्रयोग किया गया था।

कृष्णमूर्ति के एक बड़े भाई थे नित्यानंद। पहले उन पर भी वहीं प्रयोग किया गया, लेकिन नित्यानंद की मृत्यु हो गई। वह मृत्यु इसी में हुई, क्योंकि यह बहुत अनूठा प्रयोग था और इस प्रयोग को आत्मसात करना एकदम आसान बात नहीं थी। कोशिश की गई कि नित्यानंद के तीन शरीर खुद के तो अलग हो जाएँ और मैत्रेय बुद्ध के तीन शरीर उनमें प्रवेश प्रवेश कर जाएँ। नित्यानंद तो मर गए फिर कृष्णमूर्ति पर भी वही प्रयोग चला। वह भी कोशिश यही थी कि इनके तीन शरीर हटा दिए जाएँ और रिप्लेस कर दिए जाएँ।

जे. कृष्णमूर्ति के साथ संभावना थी कि शायद वे तीन शरीर उनमें प्रवेश कर जाते। उनके पास इतनी पात्रता थी, लेकिन इतना व्यापक प्रचार किया गया। प्रचार शुभ दृष्टि से किया गया था कि जब बुद्ध का आगमन हो तो वे फिर से रिकग्नाइज हो सकें (पहचाने जा सकें) और यह प्रचार इसलिए किया गया था कि बहुत से लोग हैं जो बुद्ध के वक्त में जीवित थे, उनकी स्मृति जगाई जा सके तो वे पहचान सकें कि यह आदमी वही है कि नहीं है, लेकिन वह प्रचार घातक सिद्ध हुआ और उस प्रचार ने जे. कृष्णमूर्ति के मन में एक रिएक्शन और प्रतिक्रिया को जन्म दे दिया।

.. कृष्णमूर्ति ने अपना शरीर छोड़ने से इनकार कर दिया और इसलिए बड़ी भारी असफलता इस सदी में आकल्ट साइंस को मिली। इतना बड़ा एक्सपेरीमेंट भी कभी नहीं किया गया था। तिब्बत को छोड़कर कहीं भी नहीं किया गया था। तिब्बत में बहुत दिनों से उस प्रयोग को करते रहे हैं, और बहुत सी आत्माएँ वापस दूसरे शरीरों से काम करती रही हैं।

साभार : एस धम्मो सनंतनो तथा ओशो की अन्य पुस्तकों से संकलित अंशः
सौजन्य : ओशो इंटरनेशनल फाउंडेशन

Show comments

कनाडा में मोदी को खुली धमकी, खालिस्तानियों ने सड़क पर निकाली रैली

नरबलि के लिए सोनम ने की राजा रघुवंशी की हत्या, भाई का आरोप, जताई तंत्र-मंत्र की आशंका

16 साल बाद 16वीं जनगणना, कितना होगा खर्चा, क्या होगी प्रक्रिया, कब होगी शुरुआत, जानें हर सवाल का जवाब

Air India Plane crash का रोंगटे खड़े करने वाला वीडियो, आग के गोले में से कैसे बाहर निकले विश्वास कुमार

चलती बाइक पर कपल को रोमांस पड़ा महंगा, कटा 53,500 रुपए का चालान

Iran-Israel Conflict : इजराइल पर बड़े हमले की तैयारी में ईरान, लाइव टीवी शो के दौरान गिरे बम, युद्ध हुआ भयानक

तमिलनाडु के ADGP गिरफ्तार, जानिए क्‍या है मामला...

पहलगाम आतंकी हमले की FATF ने की कड़ी निंदा, जल्‍द जारी करेगा आतंकी फंडिंग पर रिपोर्ट

Ladli Bahna Yojana : लाडली बहनों को CM मोहन यादव का तोहफा, अब रक्षाबंधन पर मिलेंगे इतने रुपए

राजा रघुवंशी हत्या मामले में प्रेम त्रिकोण या कुछ और... मेघालय के DGP बोले- इस एंगल से भी हो रही जांच