अक्षय तृतीया : दान का महापर्व

Webdunia
ND

दान का महापर्व अक्षय तृतीया 16 मई को है। शहरभर में इस दिन को खास बनाने के लिए विशेष तैयारियाँ की जा रही हैं। भगवान परशुराम का जन्मदिन होने के कारण यह दिन और भी खास माना जाता है। इस दिन दान करने वाले व्यक्ति को सीधा वैकुंठ धाम में स्थान मिलता है। वहीं इस दिन विवाह करने पर कोई भी दोष नहीं माना जाता है।

प्राचीन मान्यता के अनुसार अक्षय तृतीया का दिन बेहद खास माना गया है। इस दिन ऐसे विवाह भी मान्य होते हैं, जिनका मुहूर्त सालभर नहीं निकल पाता है। ग्रहों की दशा के चलते अगर किसी व्यक्ति के विवाह का दिन नहीं निकल रहा हो तो इस दिन बिना लग्न व मुहूर्त के उसका विवाह कर दिया जाता है। अक्षय तृतीया पर तिल, जौ और चावल दान करने का विशेष महत्व है।

ऐसा माना जाता है कि भगवान विष्णु के पसीने से तिल पैदा हुई थी, जिस कारण तिल, चावल और जौ का दान करने से विशेष फल मिल जाता है। अक्षय तृतीया का विशेष महत्व है। माना जाता है कि इस दिन होने वाले काम का कभी क्षय नहीं होता। इसलिए इस मुहूर्त को बेहद शुभ माना जाता है। किसी भी नए काम की शुरुआत से लेकर महत्वपूर्ण चीजों की खरीदारी व शादी विवाह जैसे कार्य भी इस दिन किए जाते हैं। अक्षय तृतीया का पर्व हर वर्ष वैशाख शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है।

ND
जी.एम. हिंगे के अनुसार तृतीया 41 घटी 21 पल है तथा धर्म सिंधु एवं निर्णय सिंधु ग्रंथ के अनुसार अक्षय तृतीया 6 घटी से अधिक होना चाहिए। यह तृतीया अपराह्न व्यापिनी लेना चाहिए। ऐसा पदम पुराण में भी बताया है। उन्होंने बताया कि इस वर्ष अखतीज 6 घटी से अधिक है, अतः 16 मई 2010 रविवार को अक्षय तृतीया होगी। मृग नक्षत्र 45 घटी 18 पल मृग नक्षत्र का महायोग बन रहा है। जो अनंत पुण्य फल प्रदान करने वाला होगा।

जिस तिथि का कभी क्षय नहीं होगा, वह तिथि अक्षय तृतीया ही है। एक वर्ष पड़ने वाले साढ़े तीन शुभ मुहूर्त में अक्षय तृतीया का मुहूर्त गिना जाता है। अक्षय तृतीया के दिन चारों धामों में से एक बद्रीनाथ के पट खोले जाते हैं तथा इस दिन बद्रीनाथ को अक्षय चावल चढ़ाने से सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं। वहीं दान-पुण्य का भी बहुत महत्व है।

इस दिन जप, दान, होम तथा पितरों का श्राद्ध करने से अक्षय पुण्य फल प्राप्त होता है। मिट्टी या तांबे के दो घड़ों के जल से भरकर एक घड़े में अक्षत तथा दूसरे में तिल्ली डालना चाहिए। इन घड़ों को ब्रह्मा, विष्णु, शिव स्वरूप में ही पूजा करके इन्हें ब्राह्मणों को दान करने से पितर तृप्त होते हैं तथा अपने संपूर्ण मनोरथ पूर्ण होते हैं। इस दिन सुहागिन महिलाओं का सम्मान करना चाहिए।

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

Dussehra ke Upay: दशहरे पर करें रात में ये 5 अचूक उपाय और सभी समस्याओं से मुक्ति पाएं

Navratri Special : उत्तराखंड के इस मंदिर में छिपे हैं अनोखे चुम्बकीय रहस्य, वैज्ञानिक भी नहीं खोज पाए हैं कारण

Navratri 2024: कौन से हैं माता के सोलह श्रृंगार, जानिए हर श्रृंगार का क्या है महत्व

Diwali date 2024: विभिन्न पंचांग, पंडित और ज्योतिषी क्या कहते हैं दिवाली की तारीख 31 अक्टूबर या 1 नवंबर 2024 को लेकर?

Shardiya navratri Sandhi puja: शारदीय नवरात्रि में संधि पूजा कब होगी, क्या है इसका महत्व, मुहूर्त और समय

सभी देखें

धर्म संसार

07 अक्टूबर 2024 : आपका जन्मदिन

07 अक्टूबर 2024, सोमवार के शुभ मुहूर्त

Weekly Horoscope October 2024: इस हफ्ते किन राशियों का चमकेगा भाग्य, जानें 07 से 13 अक्टूबर का साप्ताहिक राशिफल

Weekly Panchang 2024: साप्ताहिक कैलेंडर हिन्दी में, जानें 07 से 13 अक्टूबर के शुभ मुहूर्त

विजयादशमी पर सोना पत्ती क्यों बांटी जाती है? जानें इस अनोखी परंपरा का महत्व