उपवास से पाएँ, जीवन में उल्लास

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जिस तरह आहार का हमारे जीवन में विशेष महत्व है उसी प्रकार से उपवास का भी हमारे जीवन में प्रमुख महत्व है। एक तरह से उपवास हमारे स्वास्थ्य का मित्र ही है, क्योंकि उपवास करने से हमारे शरीर की पाचन प्रणाली को जहाँ आराम करने का अवसर प्राप्त होता है, वहीं हमारे शरीर के तमाम अंगों को भी आराम करने का अवसर प्राप्त होता है। अगर आप अच्छे स्वास्थ्य से अपनी दोस्ती बरकरार रखना चाहते हैं तो उपवास क्रिया को अपने जीवन में अवश्य ही स्थान दें।

जरूरत से ज्यादा भोजन करना अपने स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करने जैसा है। अपने पेट की भूख शान्त करने के लिए हमें जो भी खाद्य पदार्थ मिलता है, उसे हम उदरस्थ कर लेते हैं। ऐसा करते वक्त हम इस दिशा की तरफ तनिक भी ध्यान नहीं देते हैं कि हम जो खा रहे हैं वह हमारे स्वास्थ्य को लाभ पहुँचाएगा या हानि।

चाय, कॉफी, नमकीन, तले-भुने खाद्य पदार्थ, कचौड़ी आदि का सेवन हम बड़े ही शौक के साथ करते हैं। यह आदत बिलकुल भी ठीक नहीं है क्योंकि इस अवस्था में हमारा शरीर अनेक बीमारियों को अपनी तरफ आकर्षित कर लेता है। इन बीमारियों में हाई ब्लड प्रेशर, कैंसर, हृदय रोग व गुर्दे के रोग प्रमुख हैं। हर वर्ष अनेक लोग इन बीमारियों से ग्रसित होकर असमय ही मौत के मुँह में चले जाते हैं।

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इस लेख में हमने उपरोक्त तमाम बातों का जिक्र इसलिए किया है कि हमें जरूरत से ज्यादा नहीं खाना चाहिए और वही कुछ खाना चाहिए जो हमारे शरीर को हानि के स्थान पर लाभ पहुँचाएँ। इसी के साथ ही हम उपवास का जिक्र भी अवश्य करेंगे। उपवास के अनेक तौर-तरीके हमारे देश में प्रचलित हैं। हम बता दें कि नाश्ता छोड़ देने को, कम भोजन करने को या एक समय भोजन करने को उपवास नहीं कहा जाएगा। लोग उपवास के वक्त चाट-पकौड़ी, आलू की चाट, कूट्टू के आटे का हलवा, सिंघाड़ा, मूँगफली का सेवन ज्यादा करते हैं।

कुछ लोग उपवास को रोटी, दाल, चावल जैसे ठोस आहार मिठाई या हलवा से तोड़ते हैं। उपवास तोड़ने के ये तरीके सर्वथा गलत हैं क्योंकि ऐसा करके हम अनेक रोगों को अपने शरीर में स्थान देने के लिए आमंत्रित करते हैं। इसी के साथ ही हमारे रक्तस्रोत में खराबी आ जाती है और शरीर के सभी दबे-ढँके दोषों में तीव्रता आ जाती है।

लोग निर्जल रहकर भी उपवास करते हैं। उपवास की यह प्रक्रिया भी स्वास्थ्य को लाभ के स्थान पर हानि ही पहुँचाती है। पारंपरिक तीज-त्योहारों और व्रत के रूप में भारतीय लोगों में पुरातनकाल से उपवास रखने का प्रचलन चला तो आ रहा है पर वे यह नहीं जानते कि उनको स्वस्थ रखने में उपवास का बहुत ही बड़ा महत्व है। ज्यादातर महिला वर्ग ही उपवास रखता है।

प्रत्येक महिला का उपवास रखने का अलग-अलग उद्देश्य हुआ करता है। चूँकि इन महिलाओं द्वारा रखे गए उपवासों के पीछे स्वास्थ्य से जुड़ा कोई कारण नहीं होता है इसलिए उपवास रखने पर भी वे स्वस्थ नहीं रह पाती हैं। इसकी वजह यह होती है कि उन्हें उपवास में वैज्ञानिक उपयोगिता का कुछ भी अता-पता नहीं होता है।
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