गुरु सेवा के दिव्य उदाहरण श्रीराम

Webdunia
भगवान राम को मर्यादा पुरुषोत्तम के नाम से जाना जाता है। कहते है कि वे गुरु की सेवा में सदैव तत्पर रहते थे। राम अपने शिक्षागुरु विश्वामित्र के पास बहुत ही संयम, विनय और विवेक से रहते थे। उनके संदर्भ में तुलसीदास ने कहा है कि :-

' मुनिवर सयन कीन्हीं तब जाई।

लागे चरन चापन दोऊ भाई॥

जिनके चरन सरोरुह लागी।

करत विविध जप जोग विरागी॥

बार बार मुनि आज्ञा दीन्हीं।

रघुवर जाय सयन तब कीन्हीं॥

गुरु ते पहले जगपति जागे राम सुजान।'



सीता-स्वयंवर के दौरान जब वहाँ उपस्थित सभी राजा धनुष उठाने का एक-एक करके प्रयत्न कर रहे थे तब भगवान राम संयम और विवेक धारण करके वहाँ बैठे रहे। जब गुरु विश्वामित्र ने उन्हें आज्ञा दी तभी वे खड़े हुए और सर्वप्रथम उन्हें प्रणाम करके धनुष उठाया।

FILE


श्रीराम कितने विवेकशील थे, इसका सबसे बड़ा उदाहरण- जब गुरु वशिष्ठजी उनको राज्योचित शिक्षण देने के लिए महल में आते हैं तब देखने को मिलता है। सद्गुरु देव के आगमन का समाचार मिलते ही श्रीराम सीतासहित दरवाजे पर आकर उनका सम्मान करते हैं।

कहा जाता है क ि-

' गुरु आगमनु सुनत रघुनाथा। द्वार जाय पद नावउ माथा॥

सादर अरघ देइ घर आने। सोरह भांति पूजि सनमाने॥

गहे चरन सिय सहित बहोरी। बोले राम कमल कर जोरी॥'


इसके उपरांत श्रीराम भक्ति भावपूर्वक वशिष्‍ठजी को कहते हैं- 'हे नाथ! आप पधारे। आपके आगमन से घर पवित्र हो गया। परन्तु होना तो यह चाहिए था कि आप समाचार भेज देते तो यह दास स्वयं आपकी सेवा में उपस्थित हो जाता।'

श्रीराम की ऐसी विनम्र भक्ति से गुरुदेव प्रसन्न होकर उन्हें आशीर्वाद देते हैं ।

वेबदुनिया पर पढ़ें

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

सावन मास में कितने और कब कब प्रदोष के व्रत रहेंगे, जानिए महत्व और 3 फायदे

शुक्र का वृषभ राशि में गोचर, 3 राशियों के लिए होगी धन की वर्षा

देवशयनी एकादशी पर करें इस तरह से माता तुलसी की पूजा, मिलेगा आशीर्वाद

sawan somwar 2025: सावन सोमवार के व्रत के दौरान 18 चीजें खा सकते हैं?

एक्सीडेंट और दुर्घटनाओं से बचा सकता है ये चमत्कारी मंत्र, हर रोज घर से निकलने से पहले करें सिर्फ 11 बार जाप

सभी देखें

धर्म संसार

वर्षों बाद आया ऐसा शुभ संयोग, इस बार रक्षाबंधन पर नहीं रहेगा भद्रा का साया, पंचक भी नहीं बनेंगे बाधा

गुप्त नवरात्रि की नवमी का क्या है महत्व, इस दिन क्या करते हैं?

मंगला गौरी व्रत कब रखा जाएगा, क्या है माता की पूजा का शुभ मुहूर्त

श्री तारकेश्वर स्तोत्रम् | Sri Tarakeshwar Stotram

सावन में क्यों नहीं बनवाते दाढ़ी और बाल? जानिए क्या हैं नियम