नाग से जुड़ी मान्यताएँ

अनिरुद्ध जोशी 'शतायु'
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धर्मानुसार नाग : हिंदू धर्म अनुसार शिव ने साँप को अपने गले में रखकर और विष्णु ने शेष-शयन करके नाग के महत्व को दर्शाया है। जैन धर्म में भी पार्श्वनाथ को शेष नाग पर बैठा हुआ दर्शाया गया है। श्रीकृष्ण ने यमुना को कालिया नाग से मुक्त और शुद्ध किया था। गीता में भगवान कृष्ण कहते हैं कि नागों में अनंत (शेष नाग) हूँ। पुराणों अनुसार ऐसा विश्वास है कि हमारी धरती शेषनाग के फनों के ऊपर टिकी हुई है।

अथर्ववेद में कुछ नागों के नामों का उल्लेख मिलता है। ये नाग हैं श्वित्र, स्वज, पृदाक, कल्माष, ग्रीव और तिरिचराजी नागों में चित कोबरा (पृश्चि), काला फणियर (करैत), घास के रंग का (उपतृण्य), पीला (ब्रम), असिता रंगरहित (अलीक), दासी, दुहित, असति, तगात, अमोक और तवस्तु आदि।

नागमणि : ऐसी मान्यता है कि कुछ साँपों के सिर पर मणि होती है। मणि बहुत ही अमूल्य और नीले रंग की मानी गई है। इस मणि के कई चमत्कार हैं। मणि का होना उसी तरह है जिस तरह की अलाउद्दीन के चिराग का होना। पुराणों में नागमणि से संबंधित कई किस्से हैं। नागमणि के होने या नहीं होने को अभी तक सिद्ध नहीं किया जा सका है। यह तो शोध और खोज का विषय है।

समुद्र मंथन : समुद्र मंथन के दौरान मंदराचल पर्वत को महाकच्छप की पीठ पर समुद्र में रखकर वासुकी नाग को मंदराचल पर लपेट दिया गया। फिर एक तरफ देवता थे जिन्होंने मंदराचल को लपेटे वासुकी नाग की पूँछ वाला हिस्सा पकड़ा और दूसरी तरफ से दानवों को उन्होंने फन वाला हिस्सा पकड़ा दिया।

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नाग से जुड़ी मान्यता : नाग से जुड़ी कुछ मान्यताएँ भारतीय जनमानस में प्रचलित हैं, लेकिन इनमें कितनी सच्चाई है यह भी अभी खोज का विषय बना हुआ है। यहाँ प्रस्तुत हैं ‍कुछ मान्यताएँ-

1. इच्‍छाधारी नाग होते हैं, जो रूप बदल सकते हैं।
2. नाग-नागिन बदला लेते हैं।
3. कुछ दुर्लभ नागों के सिर पर मणि होती हैं।
4. नागों की स्मरण शक्ति तेज होती है।
5. सौ वर्ष की उम्र पूरी करने के बाद नागों में उड़ने की शक्ति हासिल हो जाती है।
6. सौ वर्ष की उम्र के बाद नागों में दाढ़ी-मूँछ निकल आती है।
7. नाग किसी के भी शरीर में आ सकते हैं।
8. नाग लोक होता है जहाँ नागमानव रहते हैं।
9. नाग प्रजाति का अजगर दूर से ही किसी को अपनी नाक से खींचने की ताकत रखता है।
10. नाग खुद का बिल नहीं बनाता, वह चूहों के बिल में रहता है।
11. नाग जमीन के अंदर गढ़े धन की रक्षा करता है। इसे नाग चौकी कहा जाता है।
12. नागों में मनुष्य को सम्मोहित कर देने की शक्ति होती है।
13. नाग संगीत सुनकर झूमने लगते हैं।
14. नाग को मारना या नागों की लड़ाई देखना पाप है।
15. नाग की केंचुल दरवाजे के ऊपर रखने से घर को नजर नहीं लगती।
16. बड़े साँप, नाग आदि शिव का अवतार माने जाते हैं।
17. कुछ नाग पाँव वाले होते हैं...आदि।

नाग का जहर : नाग को सबसे जहरीला सरीसृप माना जाता है। विश्व में नागों की लगभग 2500 प्रजातियाँ पाई जाती हैं, उनमें से 150 जाति के नागों को जहरीला माना गया है। भारत में पाई जाने वाली 216 जातियों में से मात्र 53 जातियाँ विषैली मानी गई हैं। इनमें भी चार जातियाँ अत्यंत ही विषैली होती हैं। ये चार हैं- नाग (कोबरा), करैत (क्रेट), घोणस (रसल वाइपर) तथा अफई (सौ स्केल वाइपर)।

अंतत: जरूरत इस बात की है कि नागपंचमी पर नागों को पकड़कर उन्हें दूध पिलाने के बजाय नागवंशियों की परम्परा और इतिहास को जाना जाए और नागवंश और नाग के फर्क को समझकर पौराणिक कथाओं को इतिहास के रूप में लिखा जाए।

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