बैकुंठ चतुर्दशी की पौराणिक कथा

Webdunia
बैकुंठ चतुर्दशी की पौराणिक कथा के अनुसार एक बार की बात है नारद जी पृथ्वी लोक से घूमकर बैकुंठ धाम पंहुचते हैं।


भगवान विष्णु उन्हें आदरपूर्वक बिठाते हैं और प्रसन्न होकर उनके आने का कारण पूछते हैं। 
 
नारद जी कहते है- हे प्रभु! आपने अपना नाम कृपानिधान रखा है। इससे आपके जो प्रिय भक्त हैं वही तर पाते हैं। जो सामान्य नर-नारी है, वह वंचित रह जाते हैं। इसलिए आप मुझे कोई ऐसा सरल मार्ग बताएं, जिससे सामान्य भक्त भी आपकी भक्ति कर मुक्ति पा सकें। 
 
यह सुनकर विष्णु जी बोले- हे नारद! मेरी बात सुनो, कार्तिक शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को जो नर-नारी व्रत का पालन करेंगे और श्रद्धा-भक्ति से मेरी पूजा-अर्चना करेंगे, उनके लिए स्वर्ग के द्वार साक्षात खुले होंगे।
 
इसके बाद विष्णु जी जय-विजय को बुलाते हैं और उन्हें कार्तिक चतुर्दशी को स्वर्ग के द्वार खुला रखने का आदेश देते हैं।

भगवान विष्णु कहते हैं कि इस दिन जो भी भक्त मेरा थोडा़-सा भी नाम लेकर पूजन करेगा, वह बैकुंठ धाम को प्राप्त करेगा।

 
Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

Merry Christmas 2024: क्रिसमस ट्री का रोचक इतिहास, जानें कैसे सजाते थे Christmas Tree

भारत में ईसाई धर्म की शुरुआत कब हुई थी?

महाकुंभ, अर्ध कुंभ और पूर्ण कुंभ में क्या है अंतर, जानिए क्यों है इनमें इतना फर्क

क्रिसमस पर ईसा मसीह का जन्मदिन रहता है या नहीं, 25 दिसंबर को चुनने के पीछे का इतिहास क्या है?

मकर संक्रांति, लोहड़ी, पोंगल और उत्तरायण का त्योहार कब रहेगा?

सभी देखें

धर्म संसार

Aaj Ka Rashifal: 25 दिसंबर का राशिफल, जानें किसके लिए होगा आज का दिन सबसे खास

Lal Kitab Rashifal 2025: मकर राशि 2025 का लाल किताब के अनुसार राशिफल और उपाय

25 दिसंबर 2024 : आपका जन्मदिन

Lal Kitab Rashifal 2025: धनु राशि 2025 का लाल किताब के अनुसार राशिफल और उपाय

25 दिसंबर 2024, बुधवार के शुभ मुहूर्त