भगवान राम : आदर्श व्यक्तित्व

संक्रमित हुई प्रासंगिकता

Webdunia
वर्धमान सक्सेन ा
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भगवान राम आदर्श व्यक्तित्व के प्रतीक हैं। परिदृश्य अतीत का हो या वर्तमान का, जनमानस ने रामजी के आदर्शों को खूब समझा-परखा है लेकिन भगवान राम की प्रासंगिकता को संक्रमित करने का काम भी किया है। रामजी का पूरा जीवन आदर्शों, संघर्षों से भरा पड़ा है उसे अगर सामान्यजन अपना ले तो उसका जीवन स्वर्ग बन जाए।

लेकिन जनमानस तो सिर्फ रामजी की पूजा में व्यस्त है, यहाँ तक की हिंसा से भी उसे परहेज नहीं है। राम सिर्फ एक आदर्श पुत्र ही नहीं ,आदर्श पति और भाई भी थे। आज न तो कोई आदर्श पति है और न ही आदर्श पुत्र या भाई है।

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