वट सावित्री पूर्णिमा : पूजन का विधान

सौभाग्यवती महिलाओं का पर्व

Webdunia
जेष्ठ माह की पूर्णिमा को वट सावित्री के पूजन का विधान है। इस दिन महिलाएं दीर्घ सुखद वैवाहिक जीवन की कामना से वट वृक्ष की पूजा-अर्चना कर व्रत करती हैं।

लोककथा है कि सावित्री ने वट वृक्ष के नीचे पड़े अपने मृत पति सत्यवान को यमराज से जीत लिया था। सावित्री के दृढ़ निश्चय व संकल्प की याद में इस दिन महिलाएं सुबह से स्नान कर नए वस्त्र पहनकर, सोलह श्रृंगार करती हैं। वट वृक्ष की पूजा करने के बाद ही वे जल ग्रहण करती हैं।

वट सावित्री पूजन विधि :

FILE

* इस पूजन में महिलाएं चौबीस बरगद फल (आटे या गुड़ के) और चौबीस पूरियां अपने आंचल में रखकर बारह पूरी व बारह बरगद वट वृक्ष में चढ़ा देती हैं।

* वृक्ष में एक लोटा जल चढ़ाकर हल्दी-रोली लगाकर फल-फूल, धूप-दीप से पूजन करती हैं।

* कच्चे सूत को हाथ में लेकर वे वृक्ष की बारह परिक्रमा करती हैं।

* हर परिक्रमा पर एक चना वृक्ष में चढ़ाती जाती हैं और सूत तने पर लपेटती जाती हैं।

FILE

* परिक्रमा पूरी होने के बाद सत्यवान व सावित्री की कथा सुनती हैं।

* फिर बारह तार (धागा) वाली एक माला को वृक्ष पर चढ़ाती हैं और एक को गले में डालती हैं। छः बार माला को वृक्ष से बदलती हैं, बाद में एक माला चढ़ी रहने देती हैं और एक पहन लेती हैं। जब पूजा समाप्त हो जाती है तब महिलाएं ग्यारह चने व वृक्ष की बौड़ी (वृक्ष की लाल रंग की कली) तोड़कर जल से निगलती हैं। इस तरह व्रत समाप्त करती हैं।

इसके पीछे यह कथा है कि सत्यवान जब तक मरणावस्था में थे तब तक सावित्री को अपनी कोई सुध नहीं थी लेकिन जैसे ही यमराज ने सत्यवान को प्राण दिए, उस समय सत्यवान को पानी पिलाकर सावित्री ने स्वयं वट वृक्ष की बौंडी खाकर पानी पिया था ।

वेबदुनिया पर पढ़ें

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

अमरनाथ गुफा में कैसे बनकर निश्‍चित समय में गायब हो जाता है शिवलिंग

वरुथिनी एकादशी 2025: जानें इस व्रत की 10 महत्वपूर्ण बातें...

पूर्णिमा वाला वट सावित्री व्रत कब रखा जाएगा, क्या रहेगा पूजा का शुभ मुहूर्त

चार धाम यात्रा में यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ में सबसे पहले कहां जाएं, जानिए यात्रा का रूट

कैलाश मानसरोवर यात्रा 2025 पर जाने के लिए कैसे कराएं रजिस्ट्रेशन?

सभी देखें

धर्म संसार

24 अप्रैल 2025 : आपका जन्मदिन

24 अप्रैल 2025, गुरुवार के शुभ मुहूर्त

रामायण से लेकर महाभारत तक के भगवान परशुरामजी के 8 किस्से

बाबा नीम करोली के अनुसार धन कमाने के बाद भी निर्धन रहते हैं ये लोग

अक्षय तृतीया पर बन रहे हैं 3 शुभ योग, कर लें 5 उपाय, होगी धन की वर्षा