13 को लोहड़ी, 14 को संक्रांति मनेगी

लोहड़ी पर्व : पंजाबी समुदाय का महत्वपूर्ण त्योहार...

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पंजाबी समुदाय का लोहड़ी पर्व :- हर साल 13 जनवरी को पंजाबी (सिख) परिवारों में विशेष उत्साह होता है। सिख परिवारों का महत्वपूर्ण त्योहार है लोहड़ी। मकर संक्रांति के एक दिन पहले लोहड़ी पर्व मनाया जाता है। इस उत्साह का मजा दोगुना हो जाता है, जब घर में नई बहू या फिर बच्चे के जन्म की पहली लोहड़ी हो।

लोहड़ी के दिन बच्चों में विशेष उत्साह रहता है। इसमें देर रात को खुली जगह पर आग लगाई जाती है। पूरा परिवार अग्नि के चारों और परिक्रमा लगाते हैं और फिर प्रसाद बांटा जाता है। प्रसाद में मुख्य रूप से तिल की गजक, तिल-गुड़, मक्के की धानी या पॉपकार्न और दाने बांटे जाती हैं।

आग जलाने के बाद उसके आसपास चावल रेवड़ी और चिरोंजी बिखेरी जाती है, जिसे वहां मौजूद लोग उठाते हैं। ऐसा माना जाता है कि जो व्यक्ति आग के बीच में से धानी या मूंगफली उठाता है उसकी मुराद पूरी होती है। इसके बाद नाचने-गाने गाने का सिलसिला शुरू होता है।

खास तौर पर महिला वर्ग मिलकर पारंपरिक गीत गाती हैं, डांस भी करती हैं। रात के खाने में विशेष रूप से मक्के की रोटी, सरसों का साग बनाया जाता है और पूरा परिवार हंसते-गाते लोहड़ी मनाता है और दुआ मांगता है।

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पोंगल और संक्रांति का तालमेल :-

सूर्य के उत्तरायण होने के साथ ही हिंदू समुदाय का मकर संक्रांति पर्व मनाया जाएगा। ‍भारतवासी इस दिन तिल मिले जल से स्नान करेंगे। पूजन में, भोजन में और दान-धर्म में खास तौर पर तिल का उपयोग किया जाएगा। गाय को हरा ‍चारा खिलाने के साथ-साथ मंदिरों में देवदर्शन करके दान-पुण्य भी किया जाएगा। इसके साथ ही दूसरे राज्यों में अपने-अपने परंपरानुसार मकर संक्रांति और पोंगल मनाया जाएगा।

पोंगल विशेष रूप से किसानों का पर्व है। पोंगल सामान्यतः तीन दिन तक मनाया जाता है। तमिलनाडु में मकर संक्रांति को ही 'पोंगल' के रूप में मनाया जाता है। पहले दिन कूड़ा-करकट एकत्र कर जलाया जाता है, दूसरे दिन लक्ष्मी की पूजा होती है और तीसरे तीन पशु धन की। सौर पंचांग के अनुसार यह पर्व महीने की पहली तारीख को आता है।

इस दिन स्नान करके खुले आंगन में मिट्टी के नए बर्तन में खीर बनाई जाती है, जिसे पोंगल कहते हैं। इसके बाद सूर्य भगवान को नैवेद्य चढ़ाया जाता है। फिर सभी खीर को प्रसाद रूप में ग्रहण करते हैं। इस दिन बेटी-दामाद का स्वागत किया जाता है। तीसरे दिन किसान पशुओं को सजाकर जुलूस निकालते हैं। कन्याओं के लिए पोंगल हर्षोल्लास का पर्व है।

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