Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

आज अचला सप्तमी : इसे क्यों कहते हैं रथ सप्तमी जानिए राज

Advertiesment
हमें फॉलो करें आज अचला सप्तमी : इसे क्यों कहते हैं रथ सप्तमी जानिए राज
माघ शुक्ल सप्तमी अचला सप्तमी या रथ सप्तमी के रूप से जानी जाती है, इस दिन भगवान सूर्य की आराधना मनुष्य को हर कार्य में विजय की प्राप्ति करवाती है साथ ही मनुष्य के रोगों का नाश होकर वह आरोग्यवान हो जाता है।
 
सूर्य की प्रधानता नवग्रह में होने से भगवान भास्कर की कृपा प्राप्त होने से जीवन मे ग्रहों का कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ता है। इसके महत्व एवं मान्यतानुसार खरमास के पूर्ण होने के पश्चात भगवान सूर्य के रथ में अश्वों की संख्या 7 होकर पूर्ण हो जाती है अतः इस दिन को रथ सप्तमी कहते है।
 
ऋतु परिवर्तन के साथ भगवान सूर्य का तेज भी बढ़ने लगता है जो शीत ऋतु के पश्चात ग्रीष्म ऋतु के आगमन का संकेत होता है।
 
क्या करें-
 
इस दिन प्रातः तीर्थ पर जाकर स्नान करें व भगवान भास्कर की प्रथम किरण को लाल रोली व लाल पुष्प से अर्घ्य प्रदान करें।
 
ॐ घृणि सूर्याय आदित्याय नमः का जप करें, आदित्य हृदय स्त्रोत, सुंदरकांड व रामचरित्र मानस की चौपाइयों का पाठ करें।
 
लाल वस्त्र, गुड़, गेंहू, चावल, तिल, कासे के पात्र में शहद, धार्मिक ग्रंथ, स्वर्ण व लाल गौ माता का दान करें।
 
घर मे सात रंगों से रंगोली बना कर मध्य में आटे का चौमुखी दीपक लगा कर 7 परिक्रमा करें।
 
ज्योतिष शास्त्र में सूर्य को पिता की संज्ञा दी गई हैं अतः इस दिन पिता व दादा को कोई धार्मिक पुस्तक, लाल स्याही का पेन, गरम वस्त्र व उनकी पसंद की मिठाई भेंट करें।
 
किसी मंदिर या उद्यान में पीपल, बड़, गुड़हल या गूलर का पौधा लगा कर उसका सिंचन करें।
 
भोजन में नमक का त्याग कर फलाहार करें, छोटे बच्चों को उपहार दें।
 
जो महिलाएं वर्षभर सूर्य की आराधना, व्रत व दान नहीं कर पाती वो इस दिन व्रत, पूजन कर वर्षभर की आराधना का फल प्राप्त कर सकती है।
 
सूर्य सप्तमी का ये विशेष पूजन, व्रत मनुष्य को वाद विवाद, कोर्ट मुकदमे व चुनाव प्रक्रिया में विजय प्राप्त करवा कर सभी शत्रुओं का नाश करवाने वाला होता है।


Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

शनि ग्रह के कारण बनता है 'विष योग', जानिए किस भाव में होता है कैसा असर