रथ सप्तमी 2021 : पौराणिक ग्रंथों से मिली है अचला सप्तमी की ये कथा, जानिए मुहूर्त भी

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आपने कहीं नहीं पढ़ी होगी माघ शुक्ल (रथ/अचला) सप्तमी की पुराणों की यह कथा
 
 
माघ शुक्ल सप्तमी से संबंधित कथा का उल्लेख पौराणिक ग्रंथों में मिलता है।
 
रथ (अचला सप्तमी) की पौराणिक व्रत कथा के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण के पुत्र शाम्ब को अपने शारीरिक बल पर बहुत अभिमान हो गया था। एक बार दुर्वासा ऋषि भगवान श्रीकृष्ण से मिलने आए। वे बहुत अधिक दिनों तक तप करके आए थे और इस कारण उनका शरीर बहुत दुर्बल हो गया था। 
 
शाम्ब उनकी दुर्बलता को देखकर जोर-जोर से हंसने लगा और अपने अभिमान के चलते उनका अपमान कर दिया। तब दुर्वासा ऋषि अत्यंत क्रोधित हो गए और शाम्ब की धृष्ठता को देखकर उसे कुष्ठ होने का श्राप दे दिया।
 
शाम्ब की यह स्थिति देखकर श्रीकृष्ण ने उसे भगवान सूर्य की उपासना करने को कहा। पिता की आज्ञा मानकर शाम्ब ने भगवान सूर्य की आराधना करना प्रारंभ किया, जिसके फलस्वरूप कुछ ही समय पश्चात उसे कुष्ठ रोग से मुक्ति प्राप्त हो गई।
 
इसलिए जो श्रद्धालु रथ सप्तमी के दिन भगवान सूर्य की आराधना विधिवत तरीके से करते हैं। उन्हें आरोग्य, पुत्र और धन की प्राप्ति होती है। शास्त्रों में सूर्य को आरोग्यदायक कहा गया है तथा सूर्य की उपासना से रोग मुक्ति का मार्ग भी बताया गया है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार यदि विधि-विधान से यह व्रत किया जाए तो संपूर्ण माघ मास के स्नान का पुण्य मिलता है।
 
इस व्रत को करने से शरीर की कमजोरी, हड्डियों की कमजोरी, जोड़ों का दर्द आदि रोगों से मुक्ति मिलती है। इतना ही नहीं भगवान सूर्य की ओर अपना मुख करके सूर्य स्तुति करने से चर्म रोग जैसे गंभीर रोग भी नष्ट हो जाते हैं।
 
अचला सप्तमी का शुभ मुहूर्त
अचला सप्तमी- 19 फरवरी 2021, शुक्रवार
रथ सप्तमी के दिन स्नान का मूहूर्त- सुबह 5.14 बजे से 6.56 बजे तक
अवधि- 1 घंटा 42 मिनट
अचला सप्तमी के दिन सूर्योदय- सुबह 6.56 बजे
सप्तमी तिथि प्रारंभ- 18 फरवरी, गुरुवार सुबह 8.17 बजे से
सप्तमी तिथि समाप्त- 19 फरवरी, शुक्रवार सुबह 10.58 बजे
(चूंकि उदया तिथि मानी जाती है इसलिए अचला सप्तमी का व्रत शुक्रवार 19 फरवरी को रखा जाएगा)

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