Festival Posters

अक्षय आंवला नवमी पर जानिए 10 बातें काम की...

Webdunia
* आंवला (अक्षय) नवमी पर अवश्य आजमाएं ये 10 बातें... 
 

 
कार्तिक शुक्ल नवमी अक्षय नवमी कहलाती है। इस दिन स्नान, पूजन, तर्पण तथा अन्न आदि के दान से अक्षय फल की प्राप्ति होती है। इसमें पूर्वाह्न व्यापिनी तिथि ली जाती है। आंवला नवमी के दिन परिवार के बड़े-बुजुर्ग सदस्य विधि-विधान से आंवला वृक्ष की पूजा-अर्चना करके भक्तिभाव से इस पर्व को मनाते हैं।

पौराणिक मान्यता के अनुसार कार्तिक शुक्ल पक्ष की नवमी से लेकर पूर्णिमा तक भगवान विष्णु आंवले के पेड़ पर निवास करते हैं। इस दिन आंवला पेड़ की पूजा-अर्चना कर दान पुण्य करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। अन्य दिनों की तुलना में नवमी पर किया गया दान-पुण्य कई गुना अधिक लाभ दिलाता है। 
 
ऐसी मान्यता है कि आंवला पेड़ की पूजा कर 108 बार परिक्रमा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। पूजा-अर्चना के बाद खीर, पूड़ी, सब्जी और मिष्ठान्न आदि का भोग लगाया जाता है। कई धर्मप्रेमी तो आंवला पूजन के बाद पेड़ की छांव में ब्राह्मण भोज भी कराते हैं। 
 
 इस दिन महिलाएं भी अक्षत, पुष्प, चंदन आदि से पूजा-अर्चना कर पीला धागा लपेट कर वृक्ष की परिक्रमा करती हैं। धर्मशास्त्र के अनुसार इस दिन स्नान, दान, यात्रा करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।
 
10 विशेष बातें 
 
1. आंवला नवमी पर प्रात:काल स्नान आदि से निवृत्त होकर व्रत का संकल्प करें। 
 
2. तत्पश्चात धात्री वृक्ष (आंवला) के नीचे पूर्वाभिमुख बैठकर 'ॐ धात्र्ये नम:' मंत्र से आंवले के वृक्ष की जड़ में दूध की धार गिराते हुए पितरों का तर्पण करें। 
 
 

 


3. कपूर व घी के दीपक से आरती कर प्रदक्षिणा करें। आंवला वृक्ष की 108 बार परिक्रमा करें। 
 
4. पूजा-अर्चना के बाद खीर, पूड़ी, सब्जी और मिष्ठान्न आदि का भोग लगाएं। 
 
 
5. आंवले के वृक्ष के नीचे विद्वान ब्राह्मणों को भोजन कराएं तथा दक्षिणा भेंट करें। खुद भी उसी वृक्ष के निकट बैठकर भोजन करें। 
 
6. इस दिन आंवले का वृक्ष घर में लगाना वास्तु की दृष्टि से शुभ माना जाता है। 
 
7. वैसे तो पूर्व की दिशा में बड़े वृक्षों को नहीं लगाना चाहिए किंतु आंवले के वृक्ष को इस दिशा में लगाने से 
सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है। इसे घर की उत्तर दिशा में भी लगाया जा सकता है। 
 
8. जिन बच्चों की स्मरण शक्ति कमजोर हो तथा पढ़ाई में मन न लगता हो, उनकी पुस्तकों में आंवले व इमली की हरी पत्तियों को रखना चाहिए। 
 
9. अक्षय नवमी धात्री तथा कूष्मांडा नवमी के नाम से भी जानी जाती है। 
 
10. इस दिन पितरों के शीत (ठंड) निवारण के लिए ऊनी वस्त्र व कंबल दान करना चाहिए।


 
Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

Karwa chauth 2025 date: करवा चौथ कब है वर्ष 2025 में?

Narak chaturdashi 2025: नरक चतुर्दशी कब है 19 या 20 अक्टूबर 2025, रूप चौदस का स्नान कब होगा?

Weekly Horoscope October 2025: सितारे आपके द्वार! अक्टूबर का नया सप्ताह, जानें किस्मत, करियर और प्रेम का हाल

India Pakistan War: क्या सच में मिट जाएगा पाकिस्तान का वजूद, क्या कहते हैं ग्रह नक्षत्र?

धन बढ़ाने के 5 प्राचीन रहस्य, सनातन धर्म में है इसका उल्लेख

सभी देखें

धर्म संसार

08 October Birthday: आपको 8 अक्टूबर, 2025 के लिए जन्मदिन की बधाई!

Aaj ka panchang: आज का शुभ मुहूर्त: 08 अक्टूबर, 2025: बुधवार का पंचांग और शुभ समय

Kartik Month 2025: कार्तिक मास में कीजिए तुलसी के महाउपाय, मिलेंगे चमत्कारी परिणाम बदल जाएगी किस्मत

Karwa Chauth Vrat 2025: करवा चौथ व्रत रखने से पहले जान लें पूरे दिन के मुख्य नियम, क्या करें, क्या न करें?

Diwali 2025: धनतेरस, नरक चतुर्दशी, दिवाली, अन्नकूट, गोवर्धन और भाई दूज की पूजा के शुभ मुहूर्त

अगला लेख