हरिशयनी एकादशी से होगी 5 दिवसीय उत्सव की शुरुआत

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इस बार देवशयनी एकादशी 27 जुलाई, सोमवार को मनाई जाएगी। देवशयनी एकादशी के साथ ही चार माह के लिए भगवान विष्णु शयनगार में चले जाएंगे। इसी कारण अब शुभ विवाह के मांगलिक आयोजन 4 माह बाद शुरू होंगे। देवशयनी एकादशी को हरिशयनी भी कहते हैं। 


 

इस दौरान जगह-जगह धर्मालुजन व्रतोत्सव के साथ चार माह तक के व्रत का संकल्प लेंगे। इन दिनों में पाप नाश, सौभाग्य तथा संतान प्राप्ति के लिए पांच दिवसीय गौ पद्म व्रतोत्सव किया जाता है। इन 5 दिनों में मंदिरों में कई आयोजन होंगे।

आषाढ़ी एकादशी से पूर्णिमा तक भगवान विष्णु का लक्ष्मी के साथ आह्वान कर पूजन करेंगे। इस पूजन के तहत 33 कमल की माला चढ़ाकर इतनी ही बार नमस्कार तथा प्रदक्षिणा करते हैं। 5 वर्ष तक व्रत के बाद उद्यापन करते हैं। इससे भक्तों को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। 

देवशयनी एकादशी : जानिए व्रत-पूजन का सही तरीका
 
इस संदर्भ में पौराणिक प्रसंग है- राजा बलि परम्‌ वैष्णव भक्त था। इंद्र को परास्त कर स्वर्ग पर अधिकार कर लिया था।
 
भगवान ने उससे युद्घ करना उचित न समझा और छलपूर्वक वामन रूप धारण कर उससे तीन पग भूमि मांग ली। तब स्वर्ग लोक, मृत्यु लोक आदि नाप लिए। तीसरा पैर राजा के सिर पर रखा। इंद्र को स्वर्ग देकर राजा बलि को पाताल भेज दिया। इसी के अनंतर भगवान ने चातुर्मास के लिए शयन किया।
 
मान्यता है कि जब भगवान शयन करते हैं, तब मांगलिक आयोजन नहीं होते हैं। चार माह तक धर्म ध्यान होते हैं। श्रावण उत्सव, भाद्रपद में श्रीमद्‍भागवत, कुंवार में श्राद्घ और मां शक्ति की आराधना होती है। कार्तिक शुक्ल एकादशी को देव उठते हैं। इसके बाद मांगलिक आयोजन शुरू होते हैं। 

 
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