मां धूमावती प्रकटोत्सव : धूमावती माता कौन हैं, जानिए साधना और मंत्र

अनिरुद्ध जोशी
शुक्रवार, 29 मई 2020 (15:22 IST)
दस महा विद्या 1.काली, 2.तारा, 3.त्रिपुरसुंदरी, 4.भुवनेश्वरी, 5.छिन्नमस्ता, 6.त्रिपुरभैरवी, 7.धूमावती, 8.बगलामुखी, 9.मातंगी और 10.कमला। इनमें से माता की सातवीं शक्ति हैं धूमावती।
 
प्रवृति के अनुसार दस महाविद्या के तीन समूह हैं। पहला:- सौम्य कोटि (त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, मातंगी, कमला), दूसरा:- उग्र कोटि (काली, छिन्नमस्ता, धूमावती, बगलामुखी), तीसरा:- सौम्य-उग्र कोटि (तारा और त्रिपुर भैरवी)।
 
धूमावती साधना : कहते हैं कि धूमावती का कोई स्वामी नहीं है। इसलिए यह विधवा माता मानी गई है। इनकी साधना से जीवन में निडरता और निश्चिंतता आती है। इनकी साधना या प्रार्थना से आत्मबल का विकास होता है। इस महाविद्या के फल से देवी धूमावती सूकरी के रूप में प्रत्यक्ष प्रकट होकर साधक के सभी रोग अरिष्ट और शत्रुओं का नाश कर देती है। प्रबल महाप्रतापी तथा सिद्ध पुरूष के रूप में उस साधक की ख्याति हो जाती है।
 
मां धूमावती महाशक्ति स्वयं नियंत्रिका हैं। ऋग्वेद में रात्रिसूक्त में इन्हें 'सुतरा' कहा गया है। अर्थात ये सुखपूर्वक तारने योग्य हैं। इन्हें अभाव और संकट को दूर करने वाली मां कहा गया है।
 
इस महाविद्या की सिद्धि के लिए तिल मिश्रित घी से होम किया जाता है। धूमावती महाविद्या के लिए यह भी जरूरी है कि व्यक्ति सात्विक और नियम संयम और सत्यनिष्ठा को पालन करने वाला लोभ-लालच से दूर रहें। शराब और मांस को छूए तक नहीं।
 
धूमावती का मंत्र : मोती की माला से नौ माला 'ऊँ धूं धूं धूमावती देव्यै स्वाहा:' मंत्र का जाप कर सकते हैं। जाप के नियम किसी जानकार से पूछें।
 
उत्पत्ति कथा : कहते हैं कि एक बार माता पार्वती को बहुत तेज भूख लगी। कुछ नहीं मिलने पर उन्होंने शिवजी से भोजन की मांग की। शिवजी कुछ समय के लिए इंतजार करने के लिए कहते हैं। परन्तु मता पार्वती की भूख और तेज हो जाती है। अंत में भूख से व्याकुल माता भगवान शिव को ही निगल जाती है।
 
भगवान शिव को निगलने के पश्चात माता की देह से धुंआ निकलने लगता है तब माता की भूख शांत होती है। इसके बाद भगवान शिवजी अपनी माया के द्वारा पेट से बाहर आते हैं और माता से कहते हैं कि धूम से व्याप्त देह होने के कारण आपके इस स्वरूप का नाम धूमावती होगा।

सम्बंधित जानकारी

Show comments

चैत्र नवरात्रि में जपें नवदुर्गा के दिव्य बीज मंत्र

सूर्य और शुक्र मिलकर बनाएंगे शुक्रादित्य योग, 3 राशियों की खुल जाएगी किस्मत

सूर्य का मेष राशि में प्रवेश, 5 राशियों के लिए रहेगा शानदार माह, होगा भाग्योदय

प्रभु श्रीराम के जन्म समय के संबंध में मतभेद क्यों हैं?

रामनवमी का उत्सव घर पर कैसे मनाते हैं?

चैत्र नवरात्रि अष्टमी पर श्री दादा दरबार छत्रीबाग में भव्य हवन, प्रसादी वितरण और नि:शुल्क हेल्थ शिविर

Mahagauri ki Katha: नवदुर्गा नवरात्रि की अष्टमी की देवी मां महागौरी की कथा कहानी

नवरात्रि अष्टमी पूजा और हवन के शुभ मुहूर्त के साथ जानें 3 खास उपाय

Chaitra Navratri 2024: नवरात्रि की नवमी पूजा और हवन के शुभ मुहूर्त, कन्या पूजन की विधि

16 अप्रैल 2024 : आपका जन्मदिन

अगला लेख