डोल ग्यारस : श्रीकृष्ण की मूर्ति विराजेंगी 'डोल' में

Webdunia
श्रीकृष्ण जन्म के 18 वें दिन माता यशोदा ने उनका जलवा पूजन किया था। इसी दिन को 'डोल ग्यारस' के रूप में मनाया जाता है। जलवा पूजन के बाद ही संस्कारों की शुरुआत होती है। जलवा पूजन को कुआं पूजन भी कहा जाता है। इस ग्यारस को परिवर्तिनी एकादशी, जयझूलनी एकादशी, वामन एकादशी आदि के नाम से भी जाना जाता है।
 
'डोल ग्यारस' के अवसर पर कृष्ण मंदिरों में पूजा-अर्चना होती है। भगवान कृष्ण की मूर्ति को 'डोल' में विराजमान कर उनकी शोभायात्रा निकाली जाती है। 

ALSO READ: डोल ग्यारस : मां यशोदा ने किया था कान्हा का जलवा पूजन
 
इस अवसर पर कई शहरों में मेले, चल समारोह और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन भी होता है। इसके साथ ही डोल ग्यारस पर भगवान राधा-कृष्ण के एक से बढ़कर एक नयनाभिराम विद्युत सज्जित डोल निकाले जाते हैं। इसमें साथ चल रहे अखाड़ों के उस्ताद व खलीफा तथा कलाकार अपने हैरतअंगेज प्रदर्शन से भक्तों को रोमांचित करते हैं। 
 
ग्यारस का महत्व : शुक्ल-कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को चंद्रमा की ग्यारह कलाओं का प्रभाव जीवों पर पड़ता है। फलत: शरीर की अस्वस्थता और मन की चंचलता स्वाभाविक रूप से बढ़ जाती है। इसी कारण उपवास द्वारा शरीर को संभालना और इष्टपूजन द्वारा मन को नियंत्रण में रखना एकादशी व्रत विधान का मुख्य रहस्य है।
 
इस दिन भगवान करवट लेते हैं, इसलिए इसको परिवर्तिनी एकादशी भी कहते हैं। इस दिन व्रत करने से वाजपेय यज्ञ का फल मिलता है। जो मनुष्य भगवान विष्णु के वामन रूप की पूजा करता है, उससे तीनों लोक पूज्य होते हैं।
 
एकादशी तिथि (ग्यारस) का वैसे भी सनातन धर्म में बहुत महत्‍व माना गया है। ऐसी मान्‍यता है, कि डोल ग्‍यारस का व्रत रखे बगैर जन्‍माष्‍टमी का व्रत पूर्ण नहीं होता। एकादशी तिथि में भी शुक्ल पक्ष की एकादशी को श्रेष्ठ माना गया है। शुक्ल पक्षों में भी पद्मीनी एकादशी का पुराणों में बहुत महत्व बताया गया है।
 
एकादशी के दिन व्रत रखकर भगवान कृष्ण की भक्ति करने का विधान है। इस व्रत में पवित्रता का विशेष ध्यान रखा जाता है। इस व्रत को करने से सभी तरह की कामना पूर्ण होती है तथा रोग और शोक मिट जाते हैं।

देखें वीडियो 
 

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

पढ़ाई में सफलता के दरवाजे खोल देगा ये रत्न, पहनने से पहले जानें ये जरूरी नियम

Yearly Horoscope 2025: नए वर्ष 2025 की सबसे शक्तिशाली राशि कौन सी है?

Astrology 2025: वर्ष 2025 में इन 4 राशियों का सितारा रहेगा बुलंदी पर, जानिए अचूक उपाय

बुध वृश्चिक में वक्री: 3 राशियों के बिगड़ जाएंगे आर्थिक हालात, नुकसान से बचकर रहें

ज्योतिष की नजर में क्यों है 2025 सबसे खतरनाक वर्ष?

सभी देखें

धर्म संसार

25 नवंबर 2024 : आपका जन्मदिन

25 नवंबर 2024, सोमवार के शुभ मुहूर्त

Weekly Horoscope: साप्ताहिक राशिफल 25 नवंबर से 1 दिसंबर 2024, जानें इस बार क्या है खास

Saptahik Panchang : नवंबर 2024 के अंतिम सप्ताह के शुभ मुहूर्त, जानें 25-01 दिसंबर 2024 तक

Aaj Ka Rashifal: 12 राशियों के लिए कैसा रहेगा आज का दिन, पढ़ें 24 नवंबर का राशिफल

अगला लेख