द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी व्रत

अनिरुद्ध जोशी
प्रत्येक माह में दो चतुर्थी होती है। इस तरह 24 चतुर्थी और प्रत्येक तीन वर्ष बाद अधिमास की मिलाकर 26 चतुर्थी होती है। सभी चतुर्थी की महिमा और महत्व अलग-अलग है। अमावस्या के बाद आने वाली शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहते हैं और पूर्णिमा के बाद कृष्ण पक्ष में आने वाली चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहते हैं। कल यानी 2 मार्च मंगलवार को संकष्टी चतुर्थी है जिसे द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी भी कहा गया है।
 
 
1. पौराणिक मान्यता के अनुसार द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी तिथि पर पूरे विधि-विधान के साथ पूजा-पाठ करने और व्रत रखने से भक्तों पर विघ्नहर्ता भगवान गणेश की विशेष कृपा बनती है।
 
2. हिन्दू धर्म में फाल्गुन माह की चतुर्थी तिथि को बहुत ही शुभ माना जाता है, इस दिन भगवान गणेश के 32 रुपों में से उनके छठे स्वरूप की पूजा की जाती है।
 
3. मान्यता के अनुसार इस दिन भगवान गणेश की पूजा करने और व्रत रखने से व्यक्ति के जीवन की सभी परेशानियों का अंत हो जाता है। 
 
4. विधिवत व्रत रखने पौर पूजा करने से सुख-समृद्धि और अच्छे स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है।
 
द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी पूजा मुहूर्त
2 मार्च, मंगलवार सुबह 05:46 से चतुर्थी तिथि प्रारंभ होगी जो  3 मार्च, सुबह 02:59 तक रहेगी।

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

क्या होता है मलमास, जानें कब तक रहेगा खरमास

दत्तात्रेय जयंती कब है, क्या है पूजा का शुभ मुहूर्त?

बांग्लादेश में कितने हैं शक्तिपीठ और हिंदुओं के खास मंदिर एवं तीर्थ?

Year Ender 2024: वर्ष 2024 में चर्चा में रहे हिंदुओं के ये खास मंदिर

साल 2025 में कब-कब पड़ेगा प्रदोष, जानें पूरे साल की लिस्ट

सभी देखें

धर्म संसार

16 दिसंबर 2024 : आपका जन्मदिन

16 दिसंबर 2024, सोमवार के शुभ मुहूर्त

Weekly Horoscope 16 To 22 December 2024: नया सप्ताह कैसा रहेगा 12 राशियों के लिए, पढ़ें साप्ताहिक राशिफल

Aaj Ka Rashifal: 15 दिसंबर, रविवार का दिन कैसा बीतेगा, पढ़ें 12 राशियों का सटीक राशिफल

महाकुंभ में साधु-संतों ने निकाली पेशवाई, विदेशी और किन्नर अखाड़े बने आकर्षण का केंद्र

अगला लेख