जानें क्या है फुलहरा, क्यों हैं हरतालिका तीज में इसका महत्व

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* फुलहरा का हरतालिका पूजन में महत्व 
* 24 घंटे का हरतालिका व्रत, सुहागिनें रखेंगी निर्जला उपवास 

दिनभर निर्जला व्रत और मन में पति की लंबी आयु की कामना यही है हरतालिका तीज व्रत का महत्व। इसके साथ ही माता पार्वती से मनचाहे वर की प्राप्ति के लिए विवाह योग्य युवतियां और महिलाएं हरतालिका व्रत रखती हैं। 
 
इस दिन घरों में गुजिया, पपड़ियां बनती हैं, तो बाजार में भी फुलहरा और गौरा-पार्वती की मूर्ति और पूजन-सामग्री से सजा रहता है। यह व्रत सिर्फ महिलाएं ही नहीं, स्कूल-कॉलेजों में पढ़ने वाली लड़कियां भी निर्जल व्रत रखती हैं।

तीजा व्रत करने के लिए सभ‍ी के मन में बहुत उत्साह होता है। कुछ महिलाओं को तो यह व्रत रखते-रखते 40-50 साल हो गए हैं, लेकिन आज भी वे उसी श्रद्धाभाव के साथ माता पार्वती की पूजा की करती है, रात्रि जागरण करके निर्जल व्रत रखती है। 

फुलहरा हरतालिका व्रत में विशेष महत्व रखता है। कुछ प्राकृतिक फूलो-पत्तियों से यह बनाया जाता है। फिर शिव-पार्वती की पूजा की जाती है।

आइए जानते हैं फुलहरा का महत्व :-  
 

फुलहरा की कुछ प्रमुख सामग्री :-

* ‍चिलबिनिया, नवकंचनी, नवबेलपत्र, सागौर के फूल, हनुमंत सिंदूरी, शिल भिटई, शिवताई, वनस्तोगी। 
 
* हिमरितुली, लज्जाती, बिजिरिया, धतूरे का फूल, धतूरा, मदार, त्तिलपत्ती। 
 
* बिंजोरी, निगरी, रांग पुष्प, देवअंतु, चरबेर, झानरपत्ती, मौसत पुष्प, सात प्रकार की समी। 
 
प्राकृतिक फुलहरा (फुलेरा) का महत्व :- 
 
पुराणों में वर्णित हरतालिका व्रत में जिन प्राकृतिक फूल-पत्तियों और जड़ी-बूटियों का वर्णन किया गया है, उन्हीं चीजों का उपयोग करके फुलहरा बनाया जाता है।

इस फुलहरे को बनाने में 4-5 घंटे का समय लग जाता है। फुलहरे की लंबाई 7 फुट होती है। यह प्राकृतिक फुलहरा तीजा पर बांधा जाता है। फुलहरे में कुछ विशेष प्रकार की पत्तियों और फूलों का प्रयोग होता है।  


 
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