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Karthigai Deepam: कार्तिगाई दीपम क्या है, यह पर्व क्यों मनाते हैं?

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हमें फॉलो करें कार्तिगाई दीपम 2025

WD Feature Desk

, बुधवार, 3 दिसंबर 2025 (14:50 IST)
Karthigai Deepam 2025: कार्तिगाई दीपम एक प्रमुख हिंदू त्योहार है जो खासकर तमिलनाडु, केरल, कर्नाटका और आंध्र प्रदेश में मनाया जाता है। यह त्योहार पूर्णिमा को मनाया जाता है, जो आमतौर पर नवंबर-दिसंबर के महीने में पड़ता है। यह विशेष रूप से भगवान शिव और भगवान मुरुगन (स्कंद) से संबंधित होता है।ALSO READ: Mangal dosha: मंगल दोष वालों को हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए?
 
कार्तिगाई दीपम एक अद्भुत धार्मिक और सांस्कृतिक पर्व है, जो प्रकाश, शांति और सकारात्मकता का प्रतीक है। दीप जलाने की परंपरा, भगवान शिव और मुरुगन की पूजा के साथ, यह दिन आत्मिक उन्नति और आंतरिक प्रकाश को दर्शाता है। मान्यतानुसार यह एक त्रि-दिवसीय या तीन दिनों तक चलने वाला त्योहार है, जो पूर्णिमा और कार्तिगाई नक्षत्र के साथ मनाया जाता है। जिसमें अप्पा कार्तिगई, वडा कार्तिगई और थिरु कार्तिगई यह तीन दिवसीय उत्सव का हिस्सा होता है। 
 
कार्तिगाई दीपम का महत्व:
 
1. भगवान शिव का आशीर्वाद:
कार्तिगाई दीपम भगवान शिव को समर्पित है। मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव ने भगवान मुरुगन (स्कंद) को अपने शक्तिशाली रूप में प्रकट किया था। कार्तिगाई दीपम को शिव ज्योति के रूप में भी पूजा जाता है, क्योंकि इस दिन भगवान शिव के दिव्य प्रकाश को जलाने का महत्व है।
 
2. दीप जलाने की परंपरा:
इस दिन घरों में दीपक जलाना एक विशेष परंपरा है। दीपों से घर को सजाया जाता है और इस तरह से अंधकार से प्रकाश की ओर जाने का प्रतीक होता है। इसे तमिल संस्कृति में 'प्रकाशोत्सव' के रूप में मनाया जाता है।
 
3. भगवान मुरुगन की पूजा: 
विशेष रूप से दक्षिण भारत में भगवान मुरुगन को इस दिन विशेष रूप से पूजा जाता है। माना जाता है कि इस दिन भगवान मुरुगन ने तारकासुर का वध किया था, और यही कारण है कि इस दिन विशेष रूप से मुरुगन के भक्त उपवास रखते हैं और पूजा करते हैं।ALSO READ: Guru gochar 2025: बृहस्पति के मिथुन राशि में गोचर से 5 राशियों को रहना होगा संभलकर
 
कार्तिगाई दीपम का इतिहास और मान्यता:
 
* दिव्य ज्योति का प्रकट होना: एक पौराणिक कथा के अनुसार, जब देवताओं और राक्षसों के बीच युद्ध हो रहा था, तब भगवान शिव ने एक विशाल ज्योति (प्रकाश) के रूप में अपनी शक्ति का परिचय दिया था। कार्तिक माह की पूर्णिमा के दिन उस ज्योति का अवतरण हुआ था और तभी से इस दिन को दीप जलाकर मनाने की परंपरा शुरू हुई।
 
* प्रकाश का प्रतीक: इस दिन, दीप जलाने का उद्देश्य यह है कि घरों में और जीवन में अंधकार से प्रकाश की ओर बढ़ें, जैसे भगवान शिव का दिव्य प्रकाश दुनिया को रोशन करता है।
 
क्या करते हैं इस दिन?
 
1. दीपम (दीपक) जलाना: कार्तिगाई दीपम की सबसे खास बात यह है कि इस दिन दीपों की विशेष पूजा होती है। लोग घरों, मंदिरों और गली-मोहल्लों में दीप जलाते हैं। दीपकों की एक लंबी कतार सजाई जाती है, जो एक दिव्य और शुभ वातावरण का निर्माण करती है।
 
2. भगवान मुरुगन की पूजा: इस दिन विशेष रूप से भगवान मुरुगन (स्कंद) की पूजा होती है। मुरुगन के भक्त खास तौर पर इस दिन उपवास रखते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। मुरुगन की पूजा में नारियल, फल, फूल और अन्य सामग्री अर्पित की जाती है।
 
3. सांस्कृतिक कार्यक्रम और मेलें: कार्तिगाई दीपम के अवसर पर कई स्थानों पर सांस्कृतिक कार्यक्रम, मेला, और लोक नृत्य का आयोजन भी किया जाता है। लोग एक दूसरे को शुभकामनाएं देते हैं और खुशी के साथ यह पर्व मनाते हैं।
 
4. धार्मिक अनुष्ठान: इस दिन कई मंदिरों में विशेष पूजा, हवन और अर्चना का आयोजन किया जाता है। भगवान शिव और मुरुगन के मंत्रों का उच्चारण किया जाता है।
 
कार्तिगाई दीपम का सांस्कृतिक महत्व: यह पर्व धार्मिक और सांस्कृतिक दोनों दृष्टियों से महत्वपूर्ण है। इस दिन विशेष रूप से आध्यात्मिक शुद्धता और आध्यात्मिक प्रगति की कामना की जाती है। दीप जलाने के साथ, यह पर्व सकारात्मक ऊर्जा और प्रकाश का संदेश देता है, और इस दिन का मुख्य उद्देश्य प्रकृति के साथ संतुलन बनाए रखना और आध्यात्मिक जागरूकता को बढ़ावा देना होता है।ALSO READ: श्री दत्तात्रेय दत्ताची आरती: Dattatreya aarti

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