आज मौना पंचमी, जानिए पूजा विधि एवं मौन रहने का महत्व

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- राजश्री कासलीवाल

इस बार 28 जुलाई 2021, दिन बुधवार को मौना पंचमी पर्व मनाया जा रहा है। इसी दिन नाग मरुस्थले का व्रत भी रखा जाता है। प्रतिवर्ष श्रावण महीने के कृष्ण पक्ष में आने वाली पंचमी को मौना पंचमी के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व श्रावण माह के पांचवें दिन मनाया जाता है। 
 
हिंदू धर्म के अनुसार श्रावण मास बहुत ही पवित्र माह माना गया है। इस माह में भोलेनाथ और नाग पूजन का विशेष महत्व है। इस दिन नाग देवता को सूखे फल, खीर आदि चढ़ा उनकी पूजा की जाती है। कई क्षेत्रों में इसे सर्प से जुड़ा पर्व भी मानते हैं। इस तिथि के देवता शेषनाग हैं इसलिए इस दिन भोलेनाथ के साथ-साथ शेषनाग की पूजा भी की जाती है। सुहागिन महिलाएं इस व्रत को पूरी श्रद्धा से करती हैं।
 
पूजन का महत्व- मौना पंचमी के दिन शिव के दक्षिणामूर्ति स्वरूप की पूजा काफी महत्व रखती है। इस रूप में शिव को ज्ञान, ध्यान, योग और विद्या का जगद्गुरु माना गया है। इस दिन दक्षिणामूर्ति स्वरूप शिव की पूजा से बुद्धि तथा ज्ञान में बढ़ोतरी होती है तथा मनुष्य हर तरफ से जीवन में सफलता पाता है। इस दिन पंचामृत और जल से शिवाभिषेक का बहुत महत्व है।
 
मौन व्रत क्यों रखें- मौन का अर्थ है- चुप रहना, किसी से बातचीत न करना इसीलिए यह तिथि 'मौना पंचमी' (Mauna Panchami) के नाम से जानी जाती है। मौना पंचमी के दिन विधिपूर्वक पूजन करने से घर परिवार पर आने वाली सभी बाधाएं दूर हो जाती हैं।
 
किसका करें पूजन- इस दिन भगवान शिव व शेषनाग की पूजा की जाती है। मौना पंचमी के दिन भगवान भोलेनाथ की आराधना करके मौन व्रत रखने का काफी महत्व है। मौना पंचमी को शिव पूजा और मौन व्रत का यही संदेश है कि मौन मानसिक, वैचारिक और शारीरिक हिंसा को रोकने का काम करता है। मौन व्रत न केवल व्यक्ति को मानसिक रूप से संयम और धैर्य रखना सिखाता है बल्कि वह शारीरिक ऊर्जा के नुकसान से भी बचकर सफलता पाता है।
 
सेहत लाभ- कई क्षेत्रों में इस दिन आम के बीज, नींबू तथा अनार के साथ नीम के पत्ते चबाते हैं। ऐसा माना जाता है कि ये पत्ते शरीर से जहर हटाने में काफी हद तक मदद करते हैं। इस दिन झारखंड के देवघर के शिव मंदिर में शर्वनी मेला मनाया जाता है। 

संदेश- इस व्रत का संदेश भी यही है कि मनुष्‍य के मौन धारण करने से जीवन में हर पल होने वाली हर तरह की हिंसा से उसकी रक्षा होती है तथा मनुष्य के जीवन में धैर्य और संयम आता है और मनुष्य का मन-मस्तिष्‍क अहिंसा के मार्ग पर चलने लगता है। मौना पंचमी के दिन इन दोनों देवताओं का पूजन करने से मनुष्‍य के जीवन में आ रहे काल का भय नष्‍ट होता है तथा हर प्रकार के कष्ट दूर होते हैं।

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