Dharma Sangrah

Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

Mitra Saptami 2025 Date: मित्र सप्तमी 2025 कब है? जानें पूजा विधि, मुहूर्त और संतान प्राप्ति के उपाय

Advertiesment
हमें फॉलो करें Mitra Saptami 2025

WD Feature Desk

, बुधवार, 26 नवंबर 2025 (11:35 IST)
2025 Mitra Saptami: मित्र सप्तमी का पर्व हर वर्ष मार्गशीर्ष (अगहन) मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन का व्रत और पूजा विशेष रूप से संतान प्राप्ति, स्वास्थ्य, और समाज में मित्रवत संबंध स्थापित करने के लिए किया जाता है। यहां विस्तार से जानें सूर्य देव को समर्पित इस पर्व का महत्व, पूजन विधि और संतान सुख पाने के लिए अचूक उपाय...ALSO READ: Mokshada Ekadashi Katha: मोक्षदा एकादशी व्रत क्यों है इतना महत्वपूर्ण? जानें पौराणिक कथा
 
मित्र सप्तमी 2025 की तिथि और मुहूर्त: 
 
मित्र सप्तमी 2025 की तारीख गुरुवार, 27 नवंबर 2025
सप्तमी तिथि का आरंभ- 26 नवंबर 2025, देर रात 12 बजकर 01 मिनट पर।
सप्तमी तिथि का समापन- 27 नवंबर 2025, देर रात 12 बजकर 29 मिनट पर।
चूंकि सप्तमी तिथि 27 नवंबर को उदया तिथि में व्याप्त है, इसलिए मित्र सप्तमी का पर्व 27 नवंबर 2025, गुरुवार को मनाया जाएगा।
 
मित्र सप्तमी की सरल पूजन विधि: मित्र सप्तमी के दिन सूर्य देव की पूजा सूर्योदय के समय करना सबसे शुभ माना जाता है:
 
- सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नानादि से निवृत्त हो जाएं और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
 
- तांबे के लोटे में शुद्ध जल लें। उसमें लाल चंदन, लाल फूल गुलाब या गुड़हल, अक्षत/ चावल और थोड़ा-सा गुड़ या शक्कर मिलाएं।
 
- सूर्योदय के समय, सूर्य की ओर मुख करके खड़े हो जाएं। दोनों हाथों को ऊपर उठाकर, लोटे के जल को धीरे-धीरे धार बनाकर सूर्य देव को अर्पित करें।
 
- मंत्र जाप: अर्घ्य देते समय 'ॐ मित्राय नमः' या 'ॐ घृणि सूर्याय नमः' मंत्र का जाप करें।
 
- दिन भर व्रत रखें, सिर्फ फलाहार कर सकते हैं और शाम को सूर्यास्त के बाद व्रत खोलें। 
 
- इस दिन गुड़, गेहूं, तांबा या लाल वस्त्र का दान करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
 
जानें संतान प्राप्ति के लिए विशेष उपाय: मित्र सप्तमी का व्रत संतान की इच्छा रखने वाले दंपतियों के लिए विशेष फलदायी माना जाता है:ALSO READ: Mokshada Ekadashi: मोक्षदा एकादशी: मोह का नाश, मुक्ति का मार्ग और गीता का ज्ञान
 
1. दूध मिश्रित अर्घ्य: संतान प्राप्ति की कामना करने वाले दंपत्ति, सूर्य देव को अर्घ्य देते समय जल में दूध और गुड़ मिलाकर अर्पित करें।
 
2. आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ: इस दिन आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करना विशेष रूप से लाभकारी होता है। पति-पत्नी दोनों मिलकर सूर्य के समक्ष इस स्तोत्र का पाठ करें।
 
3. गेहूं का भोग: पूजा के बाद भगवान सूर्य देव को गेहूं से बने पकवान या गुड़ और गेहूं का भोग लगाएं और इसे प्रसाद के रूप में स्वयं ग्रहण करें।
 
4. अखंड दीपक: संतान प्राप्ति की इच्छा रखने वाली महिलाएं पूजा स्थान पर शुद्ध घी का एक अखंड दीपक जलाएं और उसे पूरे दिन प्रज्वलित रखें।
 
अस्वीकरण (Disclaimer) : चिकित्सा, स्वास्थ्य संबंधी नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष, इतिहास, पुराण आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं, जो विभिन्न सोर्स से लिए जाते हैं। इनसे संबंधित सत्यता की पुष्टि वेबदुनिया नहीं करता है। सेहत या ज्योतिष संबंधी किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें। इस कंटेंट को जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है जिसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।ALSO READ: Mokshada Ekadashi 2025: कब है मोक्षदा एकादशी, 30 नवंबर या 01 दिसंबर, जानें सामग्री और पूजा विधि

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

skanda sashti 2025: सुब्रह्मण्य षष्ठी व्रत क्या है, जानें महत्व, पूजन विधि और मुहूर्त