ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की द्वितीया को नारद जयंती मनाई जाती है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार इस बार 17 मई 2022, दिन मंगलवार को यह जयंती मनाई जाएगी। आओ जानते हैं महत्व, मंत्र और मुहूर्त।
नारद जयंती मनाने का महत्व : भगवान विष्णु के परमभक्त नारदजी को देवी और देवताओं का संदेशवाहक माना जाता है। इसके साथ ही उन्होंने कई लोगों को तत्व ज्ञान की शिक्षा देकर भक्ति और मोक्ष का मार्ग भी बताया। उन्होंने गायन और वादन में भी अपना योगदान दिया था। उन्हें देवताओं का ऋषि माना है इसीलिए उन्हें देवर्षि कहा गया है। वे वेद व्यासजी, वाल्मीकि तथा परम ज्ञानी शुकदेव जी के गुरु माने जाते हैं। नारदजी सच्चे सहायक के रूप में हमेशा सच्चे और निर्दोष लोगों की पुकार श्रीहरि तक पहुंचाते थे। नारदजी किसी भी देवी या देवताओं के भक्तों की व्यथा कथा भी उन देवी और देवताओं तक पहुंचाते हैं। इसीलिए उनकी पूजा, अर्चना और आरती का महत्व बढ़ जाता है। उनके नाम से एक पुराण भी है जिसे नारद पुराण कहते हैं।
नारद मंत्र : नारद जंयती के दिन श्री विष्णुजी के साथ लक्ष्मीजी विशेष पूजा करने, श्री सूक्त का पाठ करने, श्रीमद गीता का पाठ करने के बाद 108 बार ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जप एवं 108 बार ॐ विष्णु प्रियाय महालक्ष्मै नमः मंत्र का जप करने से नारदजी प्रसन्न होते हैं। साथ ही उनके लिए ॐ नारदाय नम: का जप करें। नारद जी हमेशा 'नारायण नारायण' जपते रहते हैं तो आपको भी इसी मंत्र का जप करना चाहिए।
पूजा का शुभ मुहूर्त :
अभिजीत मुहूर्त : सुबह 11:28 से दोपहर 12:21 तक।
विजय मुहूर्त : दोहपर 02:09 से 03:02 तक।
गोधूलि मुहूर्त : शाम 06:23 से 06:47 तक।
सायाह्न संध्या मुहूर्त : शाम 06:37 से रात्रि 07:40 तक।