रक्षा बंधन पर दक्षिण भारत में मनाया जाता है नारियली पूर्णिमा, क्यों करते हैं वरुण देव की पूजा?

Webdunia
मंगलवार, 29 अगस्त 2023 (15:35 IST)
Nariyal purnima 2023: महाराष्ट्र सहित समूचे दक्षिण भारत में और पश्चिमी घाट सहित सभी समुद्री क्षेत्रों में हिन्दू पंचांग के अनुसार श्रावण पूर्णिमा को नारियल पूर्णिमा कहा जाता है। परंतु इस बार यह पर्व 30 अगस्त के बजाए 31 अगस्त को मनाया जा रहा है। इसे नारली पूर्णिमा भी कहते हैं।
 
नारियल पूर्णिमा की कैसे करते हैं पूजा : 
  1. नारियल को पीले वस्त्र में लपेटकर उसे केल के पत्तों पर रखखर अच्छे से सजाते हैं और फिर उसे जुलूस के रूप में ले जाते हैं। 
  2. फिर नारियल की शिखा समुद्र की ओर रखकर विधिवत पूजा अर्चना और मंत्र पढ़ने के बाद समुद्रदेव को नारियल अर्पित करते हैं। मतलब समुद्र में नारियल बहा दिए जाते हैं ताकि समुद्र देव हमारी हर प्रकार से रक्षा करें। इसके उपरांत धूप और दीप किया जाता है। 
  3. नारियल अर्पण करते समय प्रार्थना करते हैं कि 'हे वरुणदेव आपके रौद्ररूप से हमारी रक्षा हो और आपका आशीर्वाद प्राप्त हो'।
  4. दक्षिण भारत में यह त्योहार समाज का हर वर्ग अपने अपने तरीके से मनाता है। 
  5. इस दिन जनेऊ धारण करने वाले अपनी जनेऊ बदलते हैं। इस कारण इस त्योहार को अबित्तम भी कहा जाता है। इसे श्रावणी या ऋषि तर्पण भी कहते हैं।

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

क्या होता है मलमास, जानें कब तक रहेगा खरमास

दत्तात्रेय जयंती कब है, क्या है पूजा का शुभ मुहूर्त?

बांग्लादेश में कितने हैं शक्तिपीठ और हिंदुओं के खास मंदिर एवं तीर्थ?

Year Ender 2024: वर्ष 2024 में चर्चा में रहे हिंदुओं के ये खास मंदिर

साल 2025 में कब-कब पड़ेगा प्रदोष, जानें पूरे साल की लिस्ट

सभी देखें

धर्म संसार

मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन करें ये अचूक उपाय, चमक जाएगी किस्मत

हर साल होती है नए साल के लिए ये 5 भविष्यवाणियां, लेकिन कभी सच नहीं होतीं?

महाकुंभ में क्या है धर्मध्वजा का महत्व, जानिए किस अखाड़े की कौन सी है पताका

बुध का वृश्चिक राशि में उदय, 3 राशियां रहें संभलकर

Aaj Ka Rashifal: 14 दिसंबर क्या लेकर आया है 12 राशियों के लिए, पढ़ें अपना राशिफल

अगला लेख